अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस के उत्तर में पीएम की विचलित दिखाई पड़ती मुद्रा और उनकी बिखरी-बिखरी शाब्दिक प्रस्तुति को देख बताया जा सकता है कि वे ‘तीसरी बार भी मोदी सरकार’ को लेकर जनता की ओर से आश्वस्त होना चाह रहे थे।
संसद में प्रधानमंत्री के अविश्वास प्रस्ताव पर दिए गए जवाब को नाकाफी बताते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस की है। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पिछले दिनों मणिपुर में देखा गया कि दो समुदायों के बीच नफरत की खाई इतनी बढ़ गई है एक समुदाय दूसरे दूसरे समुदाय के मृतकों के अंतिम संस्कार की जगह को लेकर भी विरोध पर उतर गया।
भारत बहुसंस्कृति वाला देश है। हमारा संविधान भी इसकी पुष्टि करता है। यानी हमारे नेताओं ने ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां हर मजहब, जाति, समुदाय के लोग मिलजुल कर रहेंगे लेकिन स्तंभकार अपूर्वानंद कहते हैं कि उस ख्वाब की ताबीर को मणिपुर में कुचल दिया गया है।
सरकार संसद में मणिपुर पर भले ही चर्चा से बच रही है लेकिन दूसरी तरफ वो मणिपुर में शांति बहाली के लिए वहां के कुकी और मैतेई संगठनों से बातचीत कर रही है। यह बातचीत आईबी अफसरों के जरिए हो रही है।
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सोमवार को मणिपुर यौन हिंसा के वायरल वीडियो की पीड़िता दो महिलाओं के परिवार से मुकाकात की है।
मणिपुर में महज मैतेई समीकरण की वजह से भाजपा ने वहां के हालात को दांव पर लगा दिया है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता। पढ़िए पूरा लेखः
मणिपुर वीडियो के जरिए जो भयावह सच सामने आया, उस पर पूरी मानवता शर्मसार है। लेकिन कुछ लोगों को तो शर्म भी नहीं आ रही। पीएम मोदी ने बहुत दुख जताया लेकिन मणिपुर के लोगों से शांति की अपील नहीं की। वो पिछले दो महीने से मणिपुर पर चुप थे। पत्रकार और स्तंभकार वंदिता मिश्रा कह रही हैं - प्रधानमंत्री और सरकार की उपस्थिति तो पहले से ही संदिग्ध है। पढ़िए उनका यह लेख।
पूर्व उग्रवादियों के संगठन ने मणिपुर के मैतेई लोगों को 'अपनी सुरक्षा' के लिए मिजोरम छोड़ने के लिए कहा है। अब वहां से मैतेई लोग जाने लगे हैं। मणिपुर सरकार ने उन्हें वहां से लाने का इंतजाम किया है।