मणिपुर में हिंसा शुरू हुए छह महीने से ज़्यादा हो गए हैं, लेकिन अभी भी हिंसा की छिट-पुट घटनाएँ क्यों हो जा रही हैं? इसका समाधान क्या है? जानिए, शीर्ष सैन्य अधिकारी ने क्या कहा है।
इन उग्रवादी समूहों पर देश विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर हमले का आरोप है। गृह मंत्रालय का मानना है कि इन मैतेई चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश और नियंत्रण करना जरुरी है।
घात लगाकर किए गए हमले में मणिपुर पुलिस के कई कमांडो घायल हो गए हैं। एक पुलिस अधिकारी की मौत होने की खबरें भी हैं। यह घटना मंगलवार शाम कुकी आदिवासी बहुल गांव में हुई है।
बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन में होने के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा आख़िर क्यों कह रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे?
मणिपुर में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। इंफाल में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक घर पर भीड़ ने गुरुवार को हमले की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों ने भीड़ को 100 मीटर की दूरी पर रोक लिया। इंफाल और बाकी जिलों में कर्फ्यू को अब कोई नहीं मान रहा है।
मणिपुर में हालात खराब हैं। भाजपा के एक दफ्तर को जला दिया गया। दो छात्रों की हत्या के बाद राज्य में लगातार हिंसक घटनाएं हो रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बातचीत की। हालात हद से गुजर जाने के बावजूद मणिपुर के सीएम को केंद्र का पूरा संरक्षण प्राप्त है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को मणिपुर मामले पर बयान देते हुए मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग की थी।
मणिपुर में हिंसा बढ़ने के साथ ही पीएम मोदी की एक बार फिर आलोचना शुरू हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार 27 सितंबर को मणिपुर हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया।
मणिपुर फिर सुलग रहा है लेकिन पीएम मोदी तमाम चुनावी राज्यों में घूम घूम कर गारंटी बांट रहे हैं। वो मणिपुर में जाकर किसी तरह की गारंटी नहीं देना चाहते। क्योंकि मणिपुर में फिलहाल चुनाव नहीं है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को सरेआम केंद्र सरकार संरक्षण दे रही है जबकि राज्य पुरी तरह जातीय हिंसा में झुलस चुका है।
मणिपुर में जातीय हिंसा की फिर से भयानक तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर से राज्य में जातीय हिंसा का नया दौर शुरू हो सकता है। इतना सब होने के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। केंद्र सरकार का पूरा संरक्षण उन्हें हासिल है।
मणिपुर के लोगों की दुर्दशा के प्रति मोदी सरकार द्वारा दिखाई गई घोर उदासीनता किसी को भी आश्चर्यचकित करने पर मजबूर करती है कि क्या सुदूर उत्तर-पूर्वी राज्य उस "नए" भारत का हिस्सा नहीं है जिसके बारे में सत्तारूढ़ भाजपा बात करती रहती है। हिंसा में कोई कमी आना तो दूर, हालात बद से बदतर होते दिख रहे हैं।
मणिपुर में हालात फिर खराब हैं। इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इम्फाल पश्चिम के सिंगजामेई पुलिस स्टेशन में प्रभारी अधिकारी के आवास में भी तोड़फोड़ की गई। पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई में आंसू गैस के गोले छोड़े।
मणिपुर के एक मैतेई ग्रुप ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर राज्य से असम राइफल्स को हटाने की मांग की है। मणिपुर में असम राइफल्स को लगातार विवादों में घसीटा जा रहा है। हाल ही में उसके बैरिकेड्स पर मैतेई समूहों ने हमले भी किए हैं। केंद्र सरकार ने असम राइफल्स की तैनाती राज्य में कानून व्यवस्था बनाने के लिए की है। असम राइफल्स ने हाल ही में कुछ ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने मणिपुर पुलिस के हथियार लूटे थे।