गाँधी का बहुत साफ़ मानना था कि अगर हम जान दे नहीं सकते तो हमें जान लेने का अधिकार नहीं है। उनके इस कथन और वाक्य प्रयोग को भी याद करना चाहिए कि आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देगा।
नागरिकता क़ानून: केरल के बाद पंजाब सरकार भी लाई प्रस्ताव। राहुल: आतंकवादी DSP देवेंद्र के केस को दबाने की कोशिश।निर्भया केस: राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश की याचिका की खारिज।Satya Hindi
बार-बार महात्मा गाँधी के हत्यारे गोडसे को 'देशभक्त' बताने की कोशिश क्यों की जाती है? क्यों उनको गाँधी के विचारों से डर लगता है? क्यों गाँधी से अभी भी ऐसे लोगों को अपने अस्तित्व को ख़तरा महसूस होता है? देखिए सममायिक मुद्दों पर विचार रखने वाले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राकेश कुमार सिन्हा की राय।
आख़िर क्यों कुछ युवकों ने महात्मा गाँधी की प्रार्थना सभा का विरोध किया। विरोध पर गाँधी प्रार्थना सभा छोड़कर चले जाते थे लेकिन अगले दिन वह फिर पहुंच जाते थे।
गाँधीजी ने वकालत के पेशे से जुड़ी उलझनों और चुनौतियों का कैसे सामना किया जिसके बारे में उन्होंने ख़ुद सुन रखा था कि वह झूठ के गोरखधंधे के बिना नहीं चल सकता?
गाँधीजी की डेढ़ सौवीं जयंती पर कई देखी-सुनी-पढ़ी बातें याद आयीं। सारी बातें और प्रसंग अत्यंत निकट और आसपास के लोगों से जुड़े हुए हैं, गाँधीजी काफ़ी आत्मीय थे।
लोग यह अफ़वाह क्यों फैलाते हैं कि महात्मा गाँधी ने भगत सिंह को बचाने की कोशिश नहीं की थी? भगत सिंह के शहादत दिवस पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने 3 अक्टूबर 2019 को विश्लेषण किया था। देखिए क्या कहा।
बापू ने जिस धरती से दुनिया को प्यार, मोहब्बत का संदेश दिया, उसी देश में कुछ लोग उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे के सम्मान में ‘गोडसे अमर रहें’ ट्रेंड करा रहे थे।
महात्मा गाँधी के देश में वे कौन लोग हैं जो उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की जय-जयकार कर रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि इन लोगों को किसका समर्थन है, जिनके दम पर वह सोशल मीडिया पर खुलेआम ‘गोडसे अमर रहे’ को ट्रेंड करा रहे हैं।
निजी जीवन में गाँधीजी कैसे थे, इसके बारे में हमारी इस सीरीज़ में आज हम बात करेंगे उनके वैवाहिक जीवन की। क्या वह अपनी शादी से ख़ुश थे? कस्तूरबा के प्रति उनका व्यवहार कैसा था?
आज यानी 2 अक्टूबर ख़ास है। ख़ास इसलिए कि गाँधीजी की जयंती है। हर तरफ़ उनके विचारों की चर्चा है, लेकिन क्या देश उनके बताए रास्ते पर चल रहा है? सत्य और अहिंसा के अलावा गाय, हिंदू धर्म, मुसलमान पर क्या हम गाँधीजी के बताए रास्ते पर चल रहे हैं? देखिए गाँधीजी पर 'आशुतोष की बात'।
महात्मा गाँधी की एक कट्टरपंथी हिंदू के हाथों हत्या के बाद के 71 बरसों में बार-बार यह सवाल खड़ा किया गया है कि गाँधी के विचारों और उनके सिद्धांतों की प्रासंगिकता क्या है?