भारत विभाजन के लिए सावरकर कितने ज़िम्मेदार ? क्या गाँधी हत्या में आरएसएस का भी रहा कोई योगदान? देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की ‘उसने गाँधी को क्यों मारा?’ किताब के लेखक अशोक कुमार पांडेय से खास बातचीत। Satya Hindi
हम डर रहे हैं यह स्वीकार करने से कि हमें गांधी की अब ज़रूरत नहीं बची है। ऐसा इसलिए नहीं कि गांधी अब प्रासंगिक नहीं रहे हैं, वे अप्रासंगिक कभी होंगे भी नहीं। हम गांधी की ज़रूरत को आज के संदर्भों में अपने साहस के साथ जोड़ नहीं पा रहे हैं।
महात्मा गाँधी सिनेमा को थोड़ी हिक़ारत की नज़र से देखते थे। यह बात मशहूर फ़िल्मकार और लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास को अखर गयी। उन्होंने 1939 में बापू को एक खुली चिट्ठी लिख डाली। पढ़ें पूरी चिट्ठी।
गांधी के अनुयायियों ने उन्हें अलौकिक और देवदूत के रूप में प्रचारित किया था। गांधी जी को महात्मा और संत जैसी उपाधियाँ दी गयीं। इसका व्यापक प्रभाव भी हुआ।
यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि क़रीब 100 साल पहले 1922 में महात्मा गाँधी को लिखने के कारण जो आरोप और दोषारोपण झेलने पड़े, वो ही आरोप और दोषारोपण आज वकील प्रशांत भूषण को भी झेलने पड़ रहे हैं।
क्या भारत में ऐसा सम्भव है या कभी हो सकेगा कि राष्ट्रपति भवन या प्रधानमंत्री आवास के आसपास या कहीं दूर से भी गुजरने वाली सड़क को करोड़ों प्रवासी मज़दूरों के जीवन के नाम पर कर दिया जाए?
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के बाहर लगी महात्मा गाँधी की प्रतिमा को प्रदर्शनकारियों ने नुक़सान पहुँचाया है। इस घटना के लिए भारत में अमेरिका के राजदूत ने माफ़ी माँगी है।
राजीव बजाज ने हाल ही में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लॉकडाउन बेमतलब का है। न सिर्फ़ किसी भी स्वास्थ्य समस्या का इससे समाधान नहीं निकलेगा, इससे आर्थिक संकट का भी निराकरण नहीं होगा।
केंद्र में 2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद से विकास के सारे वादों और दावों के बावजूद हमारे देश की राजनीति हिन्दू-मुसलमान-पाकिस्तान, बँटवारा, हिंदू राष्ट्र, गाँधी, नेहरू, जिन्ना के इर्दगिर्द घूम रही है।
गाँधी का बहुत साफ़ मानना था कि अगर हम जान दे नहीं सकते तो हमें जान लेने का अधिकार नहीं है। उनके इस कथन और वाक्य प्रयोग को भी याद करना चाहिए कि आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देगा।
नागरिकता क़ानून: केरल के बाद पंजाब सरकार भी लाई प्रस्ताव। राहुल: आतंकवादी DSP देवेंद्र के केस को दबाने की कोशिश।निर्भया केस: राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश की याचिका की खारिज।Satya Hindi
बार-बार महात्मा गाँधी के हत्यारे गोडसे को 'देशभक्त' बताने की कोशिश क्यों की जाती है? क्यों उनको गाँधी के विचारों से डर लगता है? क्यों गाँधी से अभी भी ऐसे लोगों को अपने अस्तित्व को ख़तरा महसूस होता है? देखिए सममायिक मुद्दों पर विचार रखने वाले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राकेश कुमार सिन्हा की राय।