वाराणसी में सर्व सेवा संघ और गांधी अध्ययन संस्थान को लेकर आख़िर क्या विवाद है? इसकी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश कौन कर रहा है? जानिए, इसे बचाने का तरीका क्या हो सकता है।
महात्मा गांधी की एक प्रेम गाथा थी । जिसे इतिहास के पन्नों में गुम करा दिया गया । सरलादेवी चौधरानी उनका नाम था । गांधी जी उन्हें अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहते थे । उनकी तेजस्विता के सब क़ायल थे । अलका सरावगी ने इतिहास के इन दो किरदारों को जीवित करने की कोशिश की है । एक उपन्यास की शक्ल में । गांधी की निजी जिंदगी में क्या ये एक दख़ल है ? या फिर उनके चाहने वालों को ये हक़ है कि वो उनके बारें में सब कुछ जाने ? जानेंगे अलका जी से ।
महात्मा गांधी पर जिस तरह से आरएसएस और बीजेपी से जुड़े लोग हमले कर रहे हैं, उससे राष्ट्रपिता का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। आप 30 जनवरी को बेशक गांधी की फोटो पर गोलियां बरसाते रहें लेकिन गांधी के विचारों को दुनिया से मिटाया नहीं जा सकता। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग की नजर से गांधी को आधुनिक संदर्भ में जानिएः
महात्मा गांधी के प्रपौत्र केंद्र सरकार द्वारा स्कूल-कॉलेज की किताबों से गांधी पर चैप्टर हटाए जाने पर बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि महात्मा गांधी कि विरासत से आरएसएस और भाजपा हमेशा परेशान रहे हैं। जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने अपना दोगलापन दिखा दिया। अब वो उस गांधी को पेश करेंगे जो उनके अनुकूल है।
ऐसे दौर में जब गांधी जी के हत्यारे और आतंकवादी गोडसे को उनके समकक्ष खड़ा किया जा रहा हो, ऐसे में बीबीसी के पूर्व संपादक शिवकांत ने गांधी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व का जिक्र किया है। शिवकांत के विचार इसलिए पढ़े जाने चाहिए, ताकि गांधी को गोडसे की संतानों के दौर में आसानी से समझा जा सके।
'गांधी गोडसे एक युद्ध' के बहाने आख़िर लेखक असगर वजाहत और निर्देशक राजकुमार संतोषी क्या कहना चाहते हैं? क्या गोडसे को गांधी के बराबर लाकर खड़ा करने की कोशिश है?
आरबीआई ने जो डिजिटल रुपया जारी किया है उसको लेकर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को आख़िर क्यों आपत्ति है? वह क्यों ग़ुस्से में कह रहे हैं कि नोट से भी तसवीर हटा दें?
महात्मा गांधी की स्थापित संस्था का प्रमुख क्या आरएसएस से जुड़े किसी शख्स को बनाया जा सकता है? जानिए, गुजरात विद्यापीठ के प्रमुख को लेकर विवाद क्यों हो रहा है।
आयोजकों ने इसे संयोग बताया है लेकिन हिंदू महासभा कई बार महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की पूजा करने, उसका मंदिर बनवाने को लेकर चर्चा में रही है।
2014 में 2 अक्टूबर को शुरू किया गया स्वच्छता अभियान क्या सिर्फ नाटक बनकर रह गया है? गाँधी के नाम पर झूठ और पाखंड करना उनकी स्मृति का सबसे बड़ा अपमान है।
क्या महात्मा गांधी और विनायक दामोदर सावरकर को एक तराजू में तौला भी जा सकता है? आख़िर गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति के ताजा अंक में सावरकर का कद गांधी के बराबर क्यों पेश करने की कोशिश की गई है?