शुक्रवार को वह एक बंगाली समाचार चैनल को इंटरव्यू दे रहे थे, इस दौरान उनसे "गांधी और गोडसे" के बीच किसी एक का चयन करने के लिए कहा गया था। इस पर उन्होंने गहरी सांस ली और कहा, "मैं अब इसका जवाब नहीं दूंगा, मुझे इसके बारे में सोचना होगा।
1948 में आज ही यानी 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। जानिए, गांधी से हत्यारे क्यों डरते थे।
गांधी जिन वजहों से पश्चिमी सभ्यता को शैतानी कहते थे उनमें पश्चिम का अंध उपभोग भी एक बड़ा कारण था। यही पश्चिम अब गांधी के तौर-तरीकों जैसी मांग क्यों उठा रहा है?
गाँधी जयंती पर गोडसे की वंदना क्यों हो रही है? इन गोडसे भक्तों के पीछे कौन सी शक्तियाँ हैं क्या मोदी सरकार गोडसे भक्तों का हौसला बढ़ा रही है? वह गाँधी के ख़िलाफ़ ज़हर उगलनेवालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं करती है? क्या गाँधी को खलनायक बनाने के अभियान में वह भी शामिल है?
वाराणसी में सर्व सेवा संघ और गांधी अध्ययन संस्थान को लेकर आख़िर क्या विवाद है? इसकी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश कौन कर रहा है? जानिए, इसे बचाने का तरीका क्या हो सकता है।
महात्मा गांधी की एक प्रेम गाथा थी । जिसे इतिहास के पन्नों में गुम करा दिया गया । सरलादेवी चौधरानी उनका नाम था । गांधी जी उन्हें अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहते थे । उनकी तेजस्विता के सब क़ायल थे । अलका सरावगी ने इतिहास के इन दो किरदारों को जीवित करने की कोशिश की है । एक उपन्यास की शक्ल में । गांधी की निजी जिंदगी में क्या ये एक दख़ल है ? या फिर उनके चाहने वालों को ये हक़ है कि वो उनके बारें में सब कुछ जाने ? जानेंगे अलका जी से ।
महात्मा गांधी पर जिस तरह से आरएसएस और बीजेपी से जुड़े लोग हमले कर रहे हैं, उससे राष्ट्रपिता का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। आप 30 जनवरी को बेशक गांधी की फोटो पर गोलियां बरसाते रहें लेकिन गांधी के विचारों को दुनिया से मिटाया नहीं जा सकता। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग की नजर से गांधी को आधुनिक संदर्भ में जानिएः
महात्मा गांधी के प्रपौत्र केंद्र सरकार द्वारा स्कूल-कॉलेज की किताबों से गांधी पर चैप्टर हटाए जाने पर बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि महात्मा गांधी कि विरासत से आरएसएस और भाजपा हमेशा परेशान रहे हैं। जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने अपना दोगलापन दिखा दिया। अब वो उस गांधी को पेश करेंगे जो उनके अनुकूल है।
ऐसे दौर में जब गांधी जी के हत्यारे और आतंकवादी गोडसे को उनके समकक्ष खड़ा किया जा रहा हो, ऐसे में बीबीसी के पूर्व संपादक शिवकांत ने गांधी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व का जिक्र किया है। शिवकांत के विचार इसलिए पढ़े जाने चाहिए, ताकि गांधी को गोडसे की संतानों के दौर में आसानी से समझा जा सके।
'गांधी गोडसे एक युद्ध' के बहाने आख़िर लेखक असगर वजाहत और निर्देशक राजकुमार संतोषी क्या कहना चाहते हैं? क्या गोडसे को गांधी के बराबर लाकर खड़ा करने की कोशिश है?
आरबीआई ने जो डिजिटल रुपया जारी किया है उसको लेकर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को आख़िर क्यों आपत्ति है? वह क्यों ग़ुस्से में कह रहे हैं कि नोट से भी तसवीर हटा दें?