कभी राष्ट्रपिता गांधी ने देश के माहौल से तंग आकर लंबे समय तक जीने की तमन्ना छोड़ दी थी। अब तो खैर हमारे प्रधानमंत्री को इस दौर का राष्ट्रपिता कहा जा रहा है। बेशक वो किसी का जुमला है लेकिन हम खुद से सवाल करें कि अगर महात्मा गांधी इस समय जिन्दा होते तो अब क्या कहते या क्या करते।
क्या महात्मा गाँधी को याद करना गुनाह है? लखनऊ में गाँधी की प्रतीमा के सामने गाँधी जी का भजन गा रहे लोगों को भगा दिया। न तो वे किसी सरकारी नीति और न ही किसी फ़ैसले का विरोध कर रहे थे। फिर पुलिस ने ऐसा क्यों किया?