चुनाव आयोग मीडिया में आलोचना के ख़िलाफ़ कोर्ट की शरण में क्यों गया? मद्रास हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणियों के बाद मीडिया में चुनाव आयोग की आलोचना की बाढ़ आ गई थी। अब चुनाव आयोग चाहता है कि कोर्ट मीडिया का मुँह बंद करे। क्या ये सही है?
क्या कोरोना की दूसरी लहर के लिए केवल चुनाव आयोग ही ज़िम्मेदार है? पीएम केयर्स फंड पर क्यों उठ रहे सवाल? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण। Satya Hindi.
ऐसे समय जब रोज़ाना कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की तादाद साढ़े तीन लाख से भी ज़्यादा हो गई है और हाहाकार मचा है, मद्रास हाई कोर्ट ने एक बेहद अहम फ़ैसले में इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग को ज़िम्मेदार ठहराया है।
मद्रास हाई कोर्ट का एक आदेश पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए एक झटका है। इसने यूआईडीएआई को कहा है कि वह यह पता लगाए कि बीजेपी की पुदुचेरी ईकाई ने वोटरों के मोबाइल नंबर कहाँ से निकाले।
रामदेव जी कोरोनिल को लेकर फिर फँस गए हैं । मद्रास हाईकोर्ट ने उन पर दस लाख रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है और कोरोनिल नामका उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी है । कोरोनिल ट्रेडमार्क तमिलनाडु की एक दूसरी कंपनी के पास 2013 से ही रजिस्टर्ड है । देखिये शीतल के सवाल