मुख्यधारा की तमाम राष्ट्रीय पार्टियाँ जीत के लिए दल-बदलुओं के सहारे हैं। इन पार्टियों के दिग्गज नेता विचारधारा के आधार पर पार्टी को मजबूत करने के बजाय किसी तरह जीत हासिल करने में लगे हैं।
महाराष्ट्र में 1972 के सूखे से भी इस साल का सूखा गंभीर है क्योंकि लगातार पिछले तीन सालों से बारिश कम हो रही है और नतीजन इस साल संकट ज़्यादा बढ़ गया है। इसके लिए कौन है ज़िम्मेदार?
क्या बीजेपी के पास सरकार की विफलताओं और पार्टी के 2014 के वायदों की नाकामी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। क्या पुलवामा और बालाकोट की घटनाओं से भी पार्टी को नया रास्ता नहीं मिला?
दूसरे चरण का मतदान ख़त्म हो गया। इसमें कई बड़े नेताओं की साख दाँव पर है। हेमा मालिनी और राज बब्बर का सियासी करियर भी दाँव पर है। किसका पलड़ा भारी, देखिए वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और शीतल पी. सिंह के बीच चर्चा।
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान पूरा हो गया है। इस चरण में 11 राज्यों और 1 केंद्र शासित क्षेत्र में स्थित 95 सीटों पर हुए मतदान में चार राज्यों में 70 प्रतिशत से ज़्यादा वोटिंग हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनावी भाषणों में भी आचार संहिता के उल्लंघन जैसी बातें कहते आए हैं लेकिन चुनाव आयोग ने एक बार भी उनके ख़िलाफ़ कोई ऐक्शन नहीं लिया है! आख़िर मोदी बच क्यों निकलते हैं?
लोकसभा चुनाव के 18 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण के मतदान के लिए आज चुनाव प्रचार का आख़िरी दिन है। इस चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएँगे।
क्या चुनावी भाषणों में भाषा की मर्यादा ख़त्म हो गयी है? एक के बाद एक नेता वोट के लिए राजनेता गालियों और अपशब्दों का इस्तेमाल क्या इसलिए कर रहे हैं कि उन्होंने कोई काम नहीं किया है?