आशुतोष ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा से बात की । पवन खेड़ा का दावा है कि बीजेपी के कई बड़े नेता मोदी और शाह के रवैये से नाराज़ है और वो कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों के संपर्क में हैं और चुनाव के पहले पार्टी छोड़ेंगे । खेड़ा का दावा है कि बहुत जल्दी ही इंडिया गठबंधन में सीट बँटवारे का मसला सुलझ जायेगा और बीजेपी को बड़ी दिक़्क़त होगी ।
अमेठी में गुरुवार को बिना शोर शराबे के एक गृह प्रवेश हुआ, जिसमें न तो कोई बड़ा नेता और न ही बॉलीवुड से कोई फिल्म स्टार था। इस गृह प्रवेश को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आयोजित किया था। चुनाव से ऐन पहले यह गृह प्रवेश कई संकेत दे गया है। हालांकि यह वही अमेठी है, जहां 2020 में उनके लापता होने के पोस्टर से पूरा अमेठी पट गया था। इस रिपोर्ट में कुछ वीडियो हैं, जिन्हें गौर से जरूर देखिए।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने बुधवार शाम को लखनऊ में इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का ऐलान किया। दोनों दलों ने इंडिया गठबंधन की सीटों का भी ऐलान कर दिया। सपा ने यूपी में कांग्रेस को 17 सीटें दी हैं, शेष पर सपा और इंडिया के अन्य दल लड़ेंगे। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में सपा को एक सीट दी है। जानिए पूरी कॉन्फ्रेंस में क्या कहा गयाः
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने सोमवार को एक न्यूज चैनल पर कहा कि वो भाजपा में नहीं शामिल हो रहे हैं। कमलनाथ तीन दिनों से दिल्ली में हैं। उनके सारे चेले-चपाटे कई दिनों से ट्वीट करके भाजपा में जाने के संकेत दे रहे थे। सोमवार को वो किसी भी समय प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सारी बातें साफ कर सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि कमलनाथ की एंट्री भाजपा में किस वजह से रुक गई।
बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार 19 फरवरी को कहा कि उनकी पार्टी किसी भी दल या गठबंधन से समझौता नहीं करेगी और लोकसभा चुनाव 2024 अकेले लड़ेगी। बसपा का किसी भी गठबंधन में शामिल न होना, किसकी राजनीति को प्रभावित करेगा, जानिएः
पंजाब के किसान हरियाणा की सीमा पर बैठ हुए हैं, केंद्र सरकार किसान नेताओं से गुरुवार को तीसरे दौर की बातचीत करने वाली है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी पंजाब आ रही है। उनके दौरे की घोषणा ऐसे समय हुई है जब कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। टीएमसी पंजाब में कोई स्टेकहोल्डर नहीं है यानी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी भी नहीं है। ऐसे में ममता दौरा राजनीतिक जिज्ञासा का विषय बन गया है।
हर चुनाव में दलितों और आदिवासी तबकों को भाजपा और आरएसएस के संदर्भ में संदिग्ध नजरों से देखा जाता है। यानी यह माना जाता है कि दलित या तो किसी दलित पार्टी को वोट देंगे या फिर वो भाजपा की ओर रुख करेंगे। लोकसभा चुनाव 2019 में ऐसा होते हुए देखा गया। यह आरोप आम है कि आरएसएस दलितों का इस्तेमाल करता है। हालांकि दलित चिन्तक प्रोफेसर रविकान्त बता रहे हैं कि इस बार दलित और आदिवासी हिन्दुत्ववादी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए बेकरार हैं। हालांकि चुनाव ज्यादा दूर नहीं है। दलितों के रुझान का नतीजा चंद महीने में आ जाएगा। पढ़िए यह विश्लेषणः
Satya Hindi news Bulletin हिंदी समाचार | मोदी की गारंटियों का कांग्रेस ने किया खुलासा- ‘जुमले निकले’ | किसानों की माँगों पर मोदी को मोदी के नेता ने ही घेरा
आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पार्टी अगले 10-15 दिनों में लोकसभा की सभी सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करेगी। केजरीवाल की घोषणा के बाद इंडिया गठबंधन की रही सही इज्जत भी नहीं बची है। यानी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस अब अकेली पड़ गई है, सभी दल उसका साथ छोड़कर जा चुके हैं।
अमित शाह ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) सिर्फ पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए लोगों को नागरिकता देने के लिए है, न कि किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए।
नीतीश के बाद जयंत चौधरी भी पतली गली से निकल लिये । क्यो बीजेपी को चाहिये नये गठबंधन के साथी ? क्या बचेगा इंडिया गठबंधन ? या फिर पीएम को नहीं भरोसा है कि वो अकेले अपने दम पर चुनाव जीत सकते हैं ? आशुतोष के साथ चर्चा में अफ़रोज़ आलम, हरि जोशी, उर्मिलेश, और विजय त्रिवेदी ।
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को विशाल बहुमत देने वाले चुनावी सर्वेक्षण सचाई के कितने क़रीब हैं? दक्षिण में स्थिति बुरी होने के बावजूद क्या वे इतनी सीटें जीत सकते हैं? क्या बिहार, बंगाल, कर्नाटक में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन की उनकी भविष्यवाणी सही साबित होगी? आगे चलकर तस्वीर और कितनी बदल सकती है?
एक प्रमुख पत्रिका द्वारा किए गए सर्वेक्षण सर्वेक्षण में स्पष्ट रूप से यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 70 सीटें मिलने का अनुमान है। क्या इसका मतलब भारत के लिए बुरी खबर है? लेकिन क्या गठबंधन अपनी रैली को बेहतर बना सकता है?
संसद के दोनों सदनों में मोदी के भाषण का लब्बोलुआब क्या है? क्या उन्होंने विपक्ष के एजेंडे को छीनने की कोशिश की है? इस कोशिश में वे कितने कामयाब होंगे? विपक्ष मोदी के इस पैंतरे का जवाब किस तरह से देगा? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- श्रवण गर्ग, अनिल त्यागी, पूर्णिमा त्रिपाठी और पीयूष बबेले-