पिछले दिनों मणिपुर में देखा गया कि दो समुदायों के बीच नफरत की खाई इतनी बढ़ गई है एक समुदाय दूसरे दूसरे समुदाय के मृतकों के अंतिम संस्कार की जगह को लेकर भी विरोध पर उतर गया।
सरकार संसद में मणिपुर पर भले ही चर्चा से बच रही है लेकिन दूसरी तरफ वो मणिपुर में शांति बहाली के लिए वहां के कुकी और मैतेई संगठनों से बातचीत कर रही है। यह बातचीत आईबी अफसरों के जरिए हो रही है।
असम राइफल्स ने मणिपुर इंटीग्रिटी नामक संगठन की समन्वय समिति के संयोजक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। क्योंकि संगठन ने लूटे गए हथियार लोगों से न सौंपने का आग्रह किया था, संगठन ने असम राइफल्स को हटाने की मांग की है। यह संगठन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के समय आगे-आगे था। यह सारा मामला बहुत ही अजीबोगरीब है। तथ्यों को जानकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
थौबल घटना के वायरल वीडियो के बाद अब एक महिला के जले हुए शरीर की तस्वीर वायरल हो रही है। मणिपुर के 10 विधायकों ने बयान जारी कर बलात्कार या हत्या की कम से कम चार अन्य घटनाओं का जिक्र किया है।
मणिपुर में दो कुकी आदिवासी महिलाओं के साथ हुई घटना पर देश सदमे में है। तमाम राजनीतिक दलों के लोगों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं ने सबसे ज्यादा सवाल प्रधानमंत्री की चुप्पी पर किए हैं।
मणिपुर में हिंसा थम नहीं रही है। आज 6 जुलाई को एक स्कूल के बाहर एक महिला को गोली मार दी गई। राज्य में दो महीने से जारी इंटरनेट पाबंदी को 10 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है।
मणिपुर में हालात फिर से बेकाबू होते जा रहे हैं। भारतीय सेना ने आज 5 जुलाई को कहा कि वहां भीड़ ने हथियार लूटने की कोशिश की। जवाबी गोलीबारी में एक दंगाई मारा गया। इससे पहले सोमवार की हिंसा में 4 लोग मारे गए थे और एक कुकी समूह के नेता का घर जला दिया गया था।
मणिपुर में एक अप्रत्याशित घटना में सैकड़ों की भीड़ ने सेना के कब्जे से 12 आतंकी छुड़ा लिए हैं। सेना ने खून खराबा होने से बचाने के लिए उन आतंकियो ंको छोड़ दिया। इस तरह की मणिपुर में पहली घटना है जब सैकड़ों की भीड़ ने आतंकी छुड़ा लिए हों।
प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात का आज देशभर में प्रसारण हुआ लेकिन आग में खाक होते मणिपुर पर उनकी कोई आवाज सुनाई नहीं दी। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का कहना है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रधानमंत्री अक्सर चुप रहते हैं।
मणिपुर में बेकाबू हालात बदतर से भी आगे बढ़ चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तमाम जरूरी कार्यों में व्यस्त हैं। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा का माहौल बनाया जा रहा है लेकिन मणिपुर किसी की चिन्ता का सबब नहीं है। आखिर वहां राष्ट्रपति शासन कब लगेगा।
मणिपुर के हालात पर टेलीग्राफ ने लिखा है- मणिपुर में 6 हफ्तों में 253 चर्च जलाए गए। स्वदेशी जनजातीय नेताओं ने इसे "राज्य-प्रायोजित पोग्रोम" कहा है, जिसमें 100 से अधिक बेहिसाब मृतकों की संख्या है। 160 गांवों में 4,500 घर जल गए, जिससे लगभग 36,000 लोग बेघर हो गए।” इंडियन एक्सप्रेस ने आज रविवार को उससे आगे की कहानी छापी है।
मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच वहां मेइती और कुकी-ज़ो समुदायों को अलग-अलग करने की मांग भी उठी है। वहां के एक जनजातीय संगठन ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि इस समस्या का एकमात्र समाधान दोनों समुदायों को अलग-अलग करना है।