Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफ़ा । कांग्रेस में शामिल हुए कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी
वामपंथी छात्र राजनीति से निकल कर बेगूसराय से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कन्हैया कुमार आखिरकार कांग्रेस तक पहुँच गए। लेकिन, इससे पार्टी को क्या फ़ायदा होगा?
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । मेवाणी : 28 सितंबर को कांग्रेस में कन्हैया कुमार के साथ होंगे शामिल । पीएम मोदी ने वैक्सीन निर्माताओं को भारत आने का न्योता दिया
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । कन्हैया कुमार कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल, चर्चा तेज़ । टाइम : मोदी ने देश को धर्मनिरपेक्षता से दूर हिंदू राष्ट्रवाद की ओर धकेला
सीपीआई नेता कन्हैया कुमार क्या कांग्रेस में शामिल होंगे? क्या जिग्नेश मेवाणी भी संपर्क में हैं? क्या कांग्रेस पिछले दो साल में युवा नेताओं के छोड़कर जाने की भरपाई में लगी है? क्या ये नेता कांग्रेस के लिए फ़ायदेमंद होंगे?
कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा चलाने की अनुमति देकर दिल्ली सरकार ने बिहार में बीजेपी और नीतीश कुमार को थोड़े समय के लिए राहत की साँस लेने का मौक़ा दे दिया है।
दिल्ली सरकार ने कह दिया है कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला नहीं बनता है। तो क्या इसे बड़ा मुद्दा बनाने वाली बीजेपी को निराशा ही हाथ लगेगी? सत्य हिन्दी के कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में देखें वरिष्ठ आशुतोष का विश्लेषण।
केजरीवाल सरकार ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का मुक़दमा चलाने की अनुमति दे दी है। जबकि पहले सरकार ने इसकी अनुमति देने से इंकार कर दिया था।
बेगूसराय में बाहर से गए लोग यह देखकर लौट रहे हैं कि कन्हैया को उन्हीं का समर्थन नहीं मिले शायद जिन्हें पारंपरिक तौर पर अपना जन कहा जाता है। तो कन्हैया के जीतने की उम्मीद कितनी है?
बेगूसराय में मुक़ाबला बेहद रोचक है। कन्हैया कुमार, तनवीर हसन और गिरिराज सिंह के बीच हो रहे इस जोरदार मुक़ाबले में दिनकर के द्वंदगीतों की गूंज सुनाई दी।
सारे देश की नज़रें बेगूसराय सीट पर टिकी हुई हैं। कहा जा रहा है कि अगर कन्हैया कुमार मुसलिम मतों के विभाजन में सफल हो गए तो वह गिरिराज सिंह की जीत सुनिश्चित कर देंगे।
जातीयता, साम्प्रदायिकता, राष्ट्रीयता, ग़रीबी, बेरोज़गारी आदि मुद्दों के बीच कौन जीतकर निकलेगा, यह बेगूसराय के लिए ही नहीं पूरे भारत के वैचारिक विमर्श का दिशा सूचक होगा।