कंगना रनौत देश की आज़ादी को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद उन्होंने महात्मा गांधी पर हमला किया है। कंगना ने गांधी जी के अहिंसा के मंत्र का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि दूसरे गाल को भी आगे कर देना भीख है न कि आज़ादी।
आज़ादी और गाँधी के बारे में कंगना की आपत्तिजनक टिप्पणियों को किस तरह से लिया जाए? इसे उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में देखा जाए या फिर हेट स्पीच के तौर पर? क्या वे उन करोड़ों भारतीयों की भावनाओं को आहत नहीं कर रहीं जो गाँधी को राष्ट्रपिता मानते हैं? क्या उन्हें अनदेखा या माफ़ किया जा सकता है?
कंगना रनौत ने जब एक कार्यक्रम में कहा कि आज़ादी 1947 में नहीं बल्कि 2014 में मिली है तो तालियाँ बजाने वाले लोग कौन थे? आख़िर किसी ने भी खड़े होकर विरोध क्यों नहीं जताया?
‘भीख में मिली आज़ादी’ वाले बयान को लेकर कंगना रनौत बुरी तरह घिर गई हैं। उन्हें विशेष सुरक्षा देने वाली मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता इस पर चुप क्यों हैं।
1947 की आज़ादी को 'भीख में मिली आज़ादी' बताना ऐसे है जैसे पृथ्वी पर जीवित व्यक्ति वायु के अस्तित्व को खारिज कर दे, लेकिन क्या इसके लिए कंगना की गरिमा को चोटिल करना जायज है? क्या एक महिला का इस तरह अपमान किसी भी रूप में सही है?
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । कंगना का वरुण को जवाब- ‘गांधी के भीख के कटोरे में मिली आज़ादी...जा और रो अब’ । खुर्शीद से असहमत आज़ाद, कहा, आईएस व हिन्दुत्व की तुलना ग़लत
दो दिन पहले ही पद्म श्री अवार्ड से नवाजी गईं कंगना रनौत ने क्यों कहा, '...और उन्होंने एक क़ीमत चुकाई... बिल्कुल वो आज़ादी नहीं थी, वो भीख थी। और जो आज़ादी मिली है वो 2014 में मिली है।'
नफ़रती और झूठे बयानों वाली कंगना रनौत पर कार्रवाई कब? कंगना के बयान पर कार्यक्रम में तालियां बजाने वाले कौन? ऐसे बयानों के कारण ही कंगना रनौत को मिलते हैं सरकार से सम्मान? Alok Adda में आज की चर्चा इन्हीं सवालों को लेकर। Satya Hindi।
अजीबोगरीब बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वालीं कंगना रनौत ने आज़ादी और 'भीख' वाला जो बयान दिया है उसके लिए बीजेपी नेता वरुण गांधी ने तीखी आलोचना की है। जानिए, उन्होंने कंगना के बारे में क्या लिखा।