कंगना रनौत के बंगले के एक हिस्से को गिराने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कंगना को राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि उनके बंगले पर दुर्भावना में कार्रवाई की गई है और इसके नुक़सान की भरवाई की जानी चाहिए।
ये तो साफ़ है कि कंगना रनौत विरोध की तमाम लक्ष्मण रेखाएं लाँघ रही हैं, मगर क्या शिवसेना को ऐसा करना चाहिए? क्या उसे कंगना की भाषा में जवाब देना चाहिए या उनसे निपटने का वह कोई दूसरा रास्ता भी आज़मा सकती है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-