बीजेपी में मची सिंधिया समर्थकों की भगदड़ क्या कहती है? क्या सिंधिया से बढ़ती नाराज़गी उसे भारी पड़ सकती है? क्या सिंधिया ग्वालियर-चंबल के आठ ज़िलों की 34 में से उतनी सीटें जितवा सकेंगे जितनी 2018 के चुनाव में काँग्रेस को मिली थीं? क्या सिंधिया की वज़ह से बीजेपी को बड़ा नुक़सान हो सकता है? और अगर ऐसा हुआ तो फिर सिंधिया का क्या होगा?