देश में माफी का माहौल तैयार हो रहा है। लेकिन जिस तंत्र को अपने कपट और अहंकार के लिए माफी मांगनी चाहिए, वो नहीं मांग रहा। फिर भी न्याय के घोषित पुरोहित संतुष्ट हैं। न्याय को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है। गरीबों को स्वाभिमान की गारंटी तो मिल रही है लेकिन इस देश में न्याय की गारंटी देने वाला कोई नहीं। आज स्तंभकार वंदिता मिश्रा को पढ़िएः