पाकिस्तान एक इसलामिक देश के रूप में बनाया गया था। लेकिन कौन सा इसलाम सही है? सिद्धांत में केवल एक इसलाम है, लेकिन वास्तविकता बहुत अलग है। वास्तव में महान पैगंबर की मृत्यु के तुरंत बाद सुन्नियों और शियाओं के बीच भयंकर मतभेद पैदा हुआ।
क्या सच में भारतीय राजनीति बदल गई है? क्या भारतीय चुनावों में बेरोज़गारी, मूल्य वृद्धि और ऐसे अन्य कारक मायने रखते हैं? इस पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू क्या सोचते हैं?
भारतीय मीडिया देश की मौजूदा समस्याओं और गंभीर स्थितियों को क्यों अनदेखा कर सुशांत राजपूत, रिया और कंगना जैसे मुद्दों में उलझा हुआ है? जस्टिस मार्कंडेय काटजू का सवाल है कि भारतीय मीडिया को क्यों नहीं दिखता कि क्रांति जैसी स्थितियाँ बन रही हैं?
भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ लड़ते हुए अपने क़ीमती और दुर्लभ संसाधनों को बर्बाद करते हैं, जबकि इसके बजाये उन्हें हाथ मिलाना चाहिए और संयुक्त रूप से (बांग्लादेश के साथ) बुराइयों से निपटना चाहिए।
सवाल यह है कि जाति व्यवस्था को कैसे नष्ट किया जा सकता है। मेरा मानना है कि जाति आधारित आरक्षण जाति व्यवस्था को ख़त्म करने के बजाय इसे और गहराई, और मज़बूती से स्थापित करने में मदद करता है।
चुनाव अभियान के दौरान अपने भाषणों में इमरान ख़ान ने वादा किया था कि वह पाकिस्तान में 'मदीना की रियासत' लाएँगे। लेकिन क्या यही वो कल्याणकारी राज्य है जिसका उन्होंने वादा किया था?
भारतीय संविधान में कोई प्रावधान नहीं है कि जाति आधारित आरक्षण अनिवार्य है। अनुच्छेद 15 (4), 16 (4), और 16 (4A) में केवल यह कहा गया है कि पिछड़े वर्गों के लिए प्रशासन आरक्षण कर सकता है।
मेरे विचार में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोयान द्वारा प्रसिद्ध हागिया सोफ़िया को मसजिद में बदलने का फ़ैसला एक प्रतिक्रियावादी क़दम है, और इसकी निंदा की जानी चाहिए।
Vikas Dubey Encounter: फ़र्ज़ी एनकाउंटर करने वाले पुलिस कर्मचारियों के लिए क्या है क़ानून? इन फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स से आम जनता को क्या है ख़तरा? इन सभी मुद्दों पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू के साथ वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की खास बातचीत। Satya Hindi
विकास दुबे की पुलिस 'मुठभेड़' में हत्या, एक बार फिर से गैर न्यायिक हत्याओं की वैधता पर सवाल उठाती है जिसका अक़सर भारतीय पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
चीन बड़े पैमाने पर बढ़ रहे अपने उद्योग के लिए कच्चे माल की ज़रूरतों को पूरा करने के लालच से लद्दाख पर नज़रें गड़ाए हुए है। गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, डेमचोक, फाइव फिंगर्स आदि में हालिया चीनी घुसपैठ का असली कारण यही है।