जब आँखों के सामने एक संस्था को बर्बाद किया जा रहा हो, सिर्फ़ इसलिए कि वह दक्षिणपंथ की राह पर चलने को तैयार नहीं है तो इसे देश की बदक़िस्मती ही कहा जायेगा।
एचआरडी सेक्रेटरी ने ट्वीट कर कहा है कि जेएनयू प्रशासन ने पिछले फ़ैसले से बड़ा रोलबैक किया है। छात्र आंदोलन छोड़कर कक्षाओं में जाएँ जबकि छात्रों का कहना है कि यह आंदोलन में बँटवारे की साज़िश है और आंदोलन जारी रहेगा। क्या है पूरा मामला, देखिए शीतल के सवाल में।
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार और दूसरे छात्रों के ख़िलाफ़ 'राजद्रोह' का मुक़दमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार पुलिस को मंज़ूरी नहीं देगी। क्या अब कन्हैया कुमार इससे बच जाएँगे?
क्या इतिहासकार रोमिला थापर के बहाने एक और जेएनयू पर फिर से हमले की कोशिश है? बिल्कुल कन्हैया कुमार की तरह? प्रोफ़ेसर इमेरिटस रोमिला से जेएनयू ने क्यों सीवी जमा करने को कहा? क्यों 'राजनीतिक कार्रवाई' करने के आरोप प्रशासन पर लगाए जा रहे हैं? देखिए आशुतोष की बात में क्या है इसकी वजह।
प्रख्यात इतिहासकार और जेएनयू में प्रोफ़ेसर इमेरिटस रोमिला थापर ने कहा है कि जेएनयू प्रशासन द्वारा सीवी यानी जीवन परिचय एक ‘मक़सद’ से माँगा गया है और इसे भाँपना कोई मुश्किल काम नहीं है।
मोदी सरकार की नीतियों की आलोचक रहीं इतिहासकार रोमिला थापर को क्या जेएनयू में प्रोफ़ेसर इमेरिटस पद से हटाने की तैयारी की जा रही है? ऐसा नहीं है तो जेएनयू प्रशासन ने उनसे सीवी जमा करने को क्यों कहा है?