जिग्नेश मेवानी को एक साधारण से ट्वीट के लिए असम पुलिस गिरफ़्तार कर लेती है मगर हर दिन ज़हर उगलने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं होती? केंद्रीय मंत्री नफ़रती बयान दे रहे हैं, बीजेपी, बजरंग दल और वीएचपी के नेता ज़हर उगल रहे हैं मगर उनके ख़िलाफ़ न एफआईआर हो रही हैं, न ही किसी की गिरफ़्तारी, आख़िर क्यों? क्या हिंदुत्व के झंडाबरदार नेताओं को सौ ख़ून माफ़ हैं?