प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल की नयी पुस्तक ‘कौन हैं भारत माता?’ पर विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सम्बंध में मिथकों को तोड़ने, सत्य को उभारने और प्रकाश को सही जगह डालने की भरपूर कोशिश की है।
भारत के चार ख़ास प्रधानमंत्री किसी जाति, संप्रदाय, मज़हब, भाषा या वर्ग-विशेष के प्रतिनिधि नहीं थे। वे संपूर्ण भारत के प्रतिनिधि थे। वे प्रधानमंत्री थे, प्रचारमंत्री नहीं थे। वे प्रधानसेवक थे, प्रधानमालिक नहीं थे। वे सर्वसमावेशी थे, वे सर्वज्ञ नहीं थे।
जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल के बीच वैचारिक टकराव की तरह-तरह की चर्चाएँ होती हैं, नीतियों को लेकर दोनों में मतभेद भी थे। तो सवाल है कि दोनों के बीच संबंध कैसे थे? जानिए, उनके बीच कैसे संबंध बने रहे। चार साल पहले प्रीति सिंह ने यह टिप्पणी लिखी थी।
सरदार वल्लभभाई पटेल की आज पुण्यतिथि है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 'किसान नेता' सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति नर्मदा के तट पर स्थापित कराई। लेकिन वह आज किसानों की बात क्यों नहीं सुनते?
जब राजनीति में जम कर धर्म का घोल मिलाया जा रहा हो, जब धर्म के नाम पर हक़ जायज़ और नाजायज़ बातों को सही ठहराया जा रहा हो, तब जवाहर लाल नेहरू की याद आना स्वाभाविक है।
भारत एक बार फिर चीन के विस्तारवादी इरादों का सामना कर रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा पर ज़बर्दस्त तनाव के हालात बने हुए हैं। 1962 के लिये नेहरू ज़िम्मेदार तो 20 सैनिकों की मौत की ज़िम्मेदारी क्या नरेंद्र मोदी की नहीं है?
इसमें कोई दो राय नहीं कि नेहरू को अपने जीवनकाल में तो जनता से बेशुमार प्यार और सम्मान मिला लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी लगातार अनदेखी होती गई और उनकी प्रतिष्ठा में कमी आई।
प्रधानमंत्री मोदी ने किस आधार पर कहा कि भारत के बँटवारे के लिए नेहरू ज़िम्मेदार थे? क्या यह नेहरू के क़द को कम करने का बीजेपी का लगातार प्रयास का नतीजा नहीं है? क्या यह उसका नतीजा नहीं है जिसमें पटेल के क़द को बड़ा किया जाए? बँटवारे से सहमत होने की शुरुआत किसने की और इस मामले में नेहरू और पटेल की क्या स्थिति थी? देखिए आशुतोष की बात वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ के साथ चर्चा।
आरएसएस यह प्रचारित क्यों करता रहा कि नेहरू ने अनुच्छेद 370 देश पर थोपा था और उनके गृह मंत्री पटेल इसके ख़िलाफ़ थे? क्या यह सच है? जानिए, दस्तावेज़ों में संघ के दावे कितने सही।
सत्ताधारी लोगों के भाषणों को सुनकर ऐसा लगा कि कश्मीर की समस्या के लिए केवल जवाहरलाल नेहरू ज़िम्मेदार थे। क्या नेहरू ज़िम्मेदार थे? क्या स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान कोई मायने नहीं रखता?