कश्मीर में अपनी पार्टी के नाम से एक नई पार्टी का ऐलान किया गया है। माना जा रहा है कि ये केंद्र सरकार के इशारे पर बनी है और इसका मक़सद प्रदेश में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करना बताया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को दिखाने की गरज़ से ये कवायद की जा रही है। मगर ऐसे समय में जब तमाम दिग्गज नेता हिरासत में हैं तब सही मायनों में राजनीतिक प्रक्रिया कैसे शुरू है सकेगी? अपनी पार्टी के नेताओं की कोई विश्वसनीयता नहीं है और अवाम भी उन्हें दिल्ली का एजेंट ही मानती है। इसका मतलब है कि इस प्रयोग का नाकाम होना तय है।