देश के संविधान पर उपराष्ट्रपति से लेकर भारत के कानून मंत्री तक टिप्पणी कर रहे हैं। लेकिन हाल ही में उपराष्ट्रपति का बयान या हमला गंभीरता से लिया जाना चाहिए। आखिर सरकार की मंशा क्या है। जानी-मानी पत्रकार वंदिता मिश्रा ने उपराष्ट्रपति के बयान से जारी विवाद के संदर्भ में सभी पहलुओं को समझाने की कोशिश की है।
क्या सरकार संविधान की मूल संरचना में बदलाव करना चाहती है? उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले पर हमला क्यों किया, जिसमें संविधान के मूल चरित्र से बदलाव करने पर रोक लगाई गई थी? क्या वे न्यायपालिका को नियंत्रित न कर पाने की सरकार की बौखलाहट को प्रकट कर रहे हैं?
उपराष्ट्रपति धनखड क्यों संविधान के बेसिक फ़ीचर पर हमले कर रहे हैं ? क्या है उनकी मंशा ? क्या वो नहीं चाहते कि न्यायपालिका संसद के बनाये क़ानूनों की समीक्षा करे ? क्या वो संविधान की मूल आत्मा पर हमले कर रहे हैं ? तो क्यों कर रहे हैं ? आशुतोष जाने माने संविधान विशेषज्ञ फैजान मुस्तफ़ा से बात कर रहे हैं !
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर तीखी टिप्पणी करने वाले अब संविधान की मूल संरचना का हवाला देकर अदालत पर क्यों नाराज़ हो रहे हैं?
सोनिया गाँधी के बयान पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ क्यों उखड़े? संसद के बाहर दिए गए बयान पर संसद के अंदर प्रतिक्रिया देकर क्या उन्होंने संसदीय परंपराओं का उल्लंघन किया? क्या उनकी टिप्पणी को सदन की कार्रवाई से हटाने की माँग सही है?
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान आख़िर अपनी किस ज़िद पर अड़े थे कि हाई कोर्ट को दखल देना पड़ा? पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी राज्यपालों से क्यों तनातनी है? उद्धव व शिंदे सरकारों में क्या बदला कि महाराष्ट्र में भी अब सब ठीक हो गया?
हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी यूपी के जाट खापों के कुछ चौधरियों ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। धनखड़ उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी हैं। इस मुलाकात का मकसद और मतलब साफ है। जानिए कुछ और भी बातें।
पश्चिम बंगाल में क्या ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच में फिर से टकराव तेज होगा? राज्यपाल ने आख़िर क्यों टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी पर कार्रवाई का आदेश दिया है?
पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच फिर से तनातनी बढ़ने के आसार हैं। राज्य के विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति को लेकर क्या बड़ा फ़ैसला ले पाएँगी?