फिलिस्तीनियों की आजादी को ज्यादा दिनों तक रोका नहीं जा सकेगा। यह स्थिति इसलिए पैदा हुई है कि अब इजराइल हर फिलिस्तीनी को हमास मान बैठा है। फिसिस्तीनी भी यह मान बैठा है कि जब वो हमास का सिपाही बना दिया गया है तो इससे बेहतर है कि आजादी की लड़ाई लड़े। स्तभंकार अपूर्वानंद कह रहे हैं कि दुनिया के तमाम चिन्तक, लेखक कह रहे हैं कि इजराइली जनता के हितचिन्तक वो लोग नहीं हैं जो उसे लड़ाई के लिए फिलिस्तीनी सुरंग में ढकेलना चाहते हैं। खासकर जब आपके पास वियतनाम और अफगानिस्तान जैसे उदाहरण मौजूद हैं। पढ़िएः