यूएन में इजराइल के खिलाफ और फिलिस्तीन के पक्ष में प्रस्ताव आया। उस प्रस्ताव में गजा में युद्ध रोकने और शांति बहाल करने की बात कही गई थी। भारत ने इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया यानी भारत एक तरह से इजराइल और अमेरिका के पक्ष में खड़ा नजर आया। जिस भारत ने नस्लवाद का विरोध किया, जिस भारत ने आजाद फिलिस्तीन की बात अटल युग में भी कही, हमेशा समर्थन दिया। आज वो भारत अपनी नैतिक आवाज तक खो बैठा है। गजा में हजारों बच्चों के कत्ल-ए-आम का विरोध तक नहीं। स्तभंकार अपूर्वानंद ने पूरी संवेदना के साथ इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। जरूर पढ़िएः