समाजवादी नेता और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया है। शरद यादव को आख़िर किस तरह के राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा? पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री उन्हें कैसे याद करते हैं।
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर उड़ीसा के राज्यपाल रहे शिक्षाविद और इतिहासकार विश्वंम्भर नाथ पांडे की पुस्तक 'इंदिरा गाँधी' से साभार लिया गया यह अंश।
नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने सोनिया गांधी व राहुल को तलब किया है। इसने जब लगातार दूसरे दिन राहुल से पूछताछ की तो सवाल उठे कि क्या गिरफ़्तारी की तैयारी है? जानिए नेहरू-गांधी परिवार में किनकी-किनकी हुई है गिरफ़्तारी।
नेशनल हेरल्ड केस में राहुल गांधी से ईडी पूछताछ कर रही है। सोनिया से भी पूछताछ होगी। तो क्या उनकी गिरफ़्तारी की तैयारी है? जानिए, 44-45 साल पहले इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी क्यों हुई थी और उसका क्या नतीजा निकला।
पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने क्यों कहा कि मुख्यमंत्री पद का फ़ैसला पार्टी का आलाकमान नहीं बल्कि राज्य की जनता करेगी? क्या कांग्रेस में एक और संकट आ गया है?
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर को हत्या कर दी गई थी। इस दिन और इसके बाद कुछ दिनों तक किस हाल से दिल्ली गुजरी थी जानिए वरिष्ठ पत्रकार मनोहर नायक की क़लम से...
कांग्रेस की राजनीति में क्या आमूलचूल बदलाव आ रहा है? कैप्टन जैसे ताक़तवर नेता की पंजाब के मुख्यमंत्री पद से छुट्टी होने के क्या संकेत हैं? क्या राहुल और प्रियंका उस तरह से कड़े फ़ैसले ले रहे हैं जैसे इंदिरा-राजीव लेते थे?
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज पुण्यतिति है। आज ही के दिन यानी 27 मई को 1964 में उनका निधन हो गया था। पढ़िए, नेहरू ने इंदिरा को शांतिनिकेतन में क्यों पढ़वाया।
इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये। मोदी ने दो सर्जिकल स्ट्राइक किया। बड़ा राष्ट्रवादी कौन? आशुतोष के साथ चर्चा में सुधींद्र कुलकर्णी और प्रो. अपूर्वानंद!
आज इंदिरा गांधी की जयंती है। उन्हें इसलिए याद नहीं किया जाना चाहिए कि वे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इसलिए स्मरण रखना चाहिए कि उन्होंने एक उनींदे, अलसाए से देश को जगाया।
अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारतीयों से सख़्त नफ़रत करते थे, उनके बार में अपमानजनक बातें करते थे और भारतीय महिलाओं के बारे में उनकी सोच बेहद घटिया थी। यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी वह नापसंद करते थे।
देश में 45 साल पहले इंदिरा गाँधी आपातकाल लगा चुकी थीं। शास्त्री भवन में बैठे एक मलयाली अफ़सर को दिखाए बिना किसी अख़बार का संपादकीय छप ही नहीं सकता था। बड़े-बड़े तीसरमारखां संपादक नवनीत-लेपन विशारद सिद्ध हो रहे थे।