अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत लेकिन क्यों नहीं बढ़ेगा रोज़गार? सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को दी हरी झंडी। मध्यप्रदेश में झड़प के एक दिन बाद ही घर क्यों ढहाए गए? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण। Satya Hindi
बेरोज़गारी के जो नये आँकडे आये हैं वो और भी बड़े संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। लॉकडाउन ख़त्म होने और अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के शुरुआती संकेत मिलने के बावजूद दिसंबर में बेरोज़गारी की दर पिछले छह महीनों में सबसे ऊपर दर्ज की गई।
क़र्ज़ देने वाले अनाधिकृत मोबाइल एप के चंगुल में फँस कर पाँच लोगों की आत्महत्या से डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर काम करने वाली माइक्रो-फ़ाइनेंस कंपनियों के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। सूक्ष्म क़र्ज़ प्रणाली और उनके कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से तबाह भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। दिसंबर महीने में जीएसटी उगाही में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह एक लाख करोड़ रुपए के ऊपर पहुँच गई।
बहुत बुरा था 2020! लेकिन क्या इतना कहना काफी है? कतई नहीं। मौत के मुँह से वापस निकलने का साल था 2020। यूं नहीं समझ आता तो उन लोगों की सोचिये जो 2020 में कोरोना के शिकार हो गए।
ऐसे समय जब भारतीय अर्थव्यवस्था बदहाल है वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल 2021 में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 तक पाँचवें और 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुँच जाएगी।
भारत में कोरोना काल में जब करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई, सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर शून्य से 10 प्रतिशत नीचे चली गई, देश के चुनिंदा अरबपतियों की संपत्ति में 35 प्रतिशत की बढोतरी हुई और उनकी कुल जायदाद बढ़ कर 423 अरब डॉलर हो गई?
मशहूर ब्रिटिश पत्रिका ‘द इकाॅनमिस्ट’ में पिछले हफ़्ते आवरण कथा थी- ‘विल इन्फ्लेशन रिटर्न?’, यानी क्या मुद्रास्फीति लौटेगी? अर्थशास्त्रियों की यह सबसे बड़ी चिंता है कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई का असर वहाँ के बाजारों से ग़ायब हो चुका है।
कोरोना का कहर कम हो जाने के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था उसकी चपेट से लंबे समय तक नहीं निकल पाएगी, यह बात तो पहले से कही जा रही है, पर अब इसे लेकर अधिक चिंता की बात कही जा रही है।
ऐसे समय जब चीन अपने उत्पाद पूरी दुनिया में बेचने के लिए हर मुमकिन उपाय कर रहा है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कड़ी टक्कर दे रहा है, एशिया प्रशांत के 15 देशों ने एक व्यापार समझौते पर दस्तख़त किए हैं।
वैसे तो पिछले लंबे समय से अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से आ रही लगभग सभी ख़बरें निराश करने वाली ही हैं, लेकिन इन दिनों बेरोज़गारी में इजाफ़े के साथ ही सबसे बड़ी और बुरी ख़बर यह है कि आम आदमी को महंगाई से राहत मिलने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादिता से भरा बयान आमजन को सुकून पहुँचा सकता है। उनका कहना है कि आँकड़े बता रहे हैं कि इसमें सुधार के बहुत लक्षण हैं।