कोरोना और लॉकडाउन की वजह से तबाह भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। दिसंबर महीने में जीएसटी उगाही में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह एक लाख करोड़ रुपए के ऊपर पहुँच गई।
बहुत बुरा था 2020! लेकिन क्या इतना कहना काफी है? कतई नहीं। मौत के मुँह से वापस निकलने का साल था 2020। यूं नहीं समझ आता तो उन लोगों की सोचिये जो 2020 में कोरोना के शिकार हो गए।
ऐसे समय जब भारतीय अर्थव्यवस्था बदहाल है वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल 2021 में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 तक पाँचवें और 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुँच जाएगी।
भारत में कोरोना काल में जब करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई, सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर शून्य से 10 प्रतिशत नीचे चली गई, देश के चुनिंदा अरबपतियों की संपत्ति में 35 प्रतिशत की बढोतरी हुई और उनकी कुल जायदाद बढ़ कर 423 अरब डॉलर हो गई?
मशहूर ब्रिटिश पत्रिका ‘द इकाॅनमिस्ट’ में पिछले हफ़्ते आवरण कथा थी- ‘विल इन्फ्लेशन रिटर्न?’, यानी क्या मुद्रास्फीति लौटेगी? अर्थशास्त्रियों की यह सबसे बड़ी चिंता है कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई का असर वहाँ के बाजारों से ग़ायब हो चुका है।
कोरोना का कहर कम हो जाने के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था उसकी चपेट से लंबे समय तक नहीं निकल पाएगी, यह बात तो पहले से कही जा रही है, पर अब इसे लेकर अधिक चिंता की बात कही जा रही है।
ऐसे समय जब चीन अपने उत्पाद पूरी दुनिया में बेचने के लिए हर मुमकिन उपाय कर रहा है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कड़ी टक्कर दे रहा है, एशिया प्रशांत के 15 देशों ने एक व्यापार समझौते पर दस्तख़त किए हैं।
वैसे तो पिछले लंबे समय से अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से आ रही लगभग सभी ख़बरें निराश करने वाली ही हैं, लेकिन इन दिनों बेरोज़गारी में इजाफ़े के साथ ही सबसे बड़ी और बुरी ख़बर यह है कि आम आदमी को महंगाई से राहत मिलने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादिता से भरा बयान आमजन को सुकून पहुँचा सकता है। उनका कहना है कि आँकड़े बता रहे हैं कि इसमें सुधार के बहुत लक्षण हैं।
बिहार के चुनाव में 10 लाख नौकरियों का नाम क्या आया, राजनीति का रंग बदल गया। पहले तो जमकर हीला हवाली हुई, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों ने दलील दी कि राज्य सरकार के पास इतने लोगों को वेतन देने का भी पैसा नहीं है।
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है? क्या मांग-खपत निकलने लगी हैं और लोग पहले की तरह न सही, पर थोड़ी-बहुत ख़रीद-फ़रोख़्त करने लगे हैं?
डेढ़ माह में पहले पीएम के ‘मन की बात’ के दौरान भी 10 लाख लोगों ने ‘डिसलाइक’ दर्ज कराया था। उसे यह कह कर ख़ारिज किया गया जो युवा संघ लोक सेवा की परीक्षा और अन्य परीक्षाओं को टालने की माँग कर रहे थे, यह उनका फ़ौरी गुस्सा था।
केंद्र सरकार के तीस लाख कर्मचारियों के लिए खुशखबरी। कैबिनेट ने बोनस का प्रस्ताव पास कर दिया है। दशहरे के पहले ही DBT के ज़रिए कर्मचारियों के खाते में बोनस पहुंच जाएगा। सरकार इसपर कुल 3737 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि 30 लाख अराजपत्रित यानी नॉन-गजेटेड कर्मचारियों को बोनस दिया जाएगा, जिस पर सरकार को 3,737 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।