कोरोना महामारी के बाद से देश की आर्थिक स्थिति क्या पटरी पर लौटी और क्या लोगों की आय बढ़ रही है? इसको मापने का पैमाना है कि सामान की मांग कितनी बढ़ी। जानिए, उपभोक्ता सामान की क्या स्थिति है।
अक्टूबर महीने में भारत की थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है। मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक यह अब घटकर -0.52 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पहले सितंबर महीने में थोक महंगाई -0.26 प्रतिशत थी।
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट कहती है कि निजी सर्वेक्षण और अनुसंधान समूह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, देश में बेरोजगारी दर अक्टूबर में 10 प्रतिशत को पार कर गई है।
G 20 कामयाब लेकिन देश में समस्याओं का पहाड़ । महंगाई और बेरोज़गारी ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है ? क्या हुआ उनका वादा कि बहुत हुई महंगाई की मार ? क्यों उनका कार्यकाल मनमोहन सिंह की आर्थिक प्रगति का मुकाबला नहीं कर पाया । क्यों वो आर्थिक मोर्चे पर असफल साबित हो रहे हैं ? आशुतोष बता रहे है ।
क्या पीएम मोदी लुई 14वें की ‘मैं ही राज्य हूँ’ की नीति पर ही चल रहे हैं। लेकिन पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का तो यही कहना है। हालांकि भारत में फ्रांस जैसी स्थितियां नहीं हैं कि यहां क्रांति हो। फिर भी आप इस लेख को पढ़िए क्योंकि वक्त और हालात बदलते देर नहीं लगती।
महंगाई बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के दावे भी किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि अमीर-गरीब की खाई को पाटे बिना आप ग्रोथ का फायदा अंतिम आदमी या औरत को कैसे दे पाएंगे। चीजों के दाम सस्ते नहीं हुए हैं। गरीब जनता का सरकारी आंकड़ों से कोई लेनादेना नहीं है। वो ये जानता है कि कि महंगाई कहां कम हुई है। पेश है आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी का नजरियाः
दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंकाओं के बीच भारत में जीडीपी वृद्धि दर गिरने के संकेत मिलने लगे हैं। जानिए तीसरी तिमाही को लेकर अब क्या आशंका जताई जा रही है।
नवंबर और दिसंबर में महंगाई कम होती दिखी थी तो क्या मुसीबत टल गई है? जनवरी में फिर से महंगाई बढ़ने और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के क्या मायने हैं?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 2004 से 14 के बीच मौके गंवा दिए पिछली सरकार ने। दस साल बर्बाद हो गए। नौ साल सरकार चलाने के बाद पिछले दस साल का भूत क्यों जगा रहे हैं प्रधानमंत्री? क्या है अर्थव्यवस्था की असलियत? वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार टीसीए श्रीनिवास राघवन के साथ
जिसका डर था, वही आशंका सामने आई है। विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज मंगलवार को कहा है कि भारत में 2023 में मंदी आ सकती है लेकिन 2024 में हालात मामूली ठीक हो जाएंगे। आईएमएफ ने मंगलवार को विश्व अर्थव्यवस्था आउटलुक रिपोर्ट में यह बात कही।
ऐसे में जब 2023 में वैश्विक मंदी की आशंका जताई जा रही है, क्या भारत की अर्थव्यवस्था में कुछ उम्मीद बाक़ी है? विश्व बैंक किस आधार पर कह रहा है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर साढ़े छह फीसदी से ज़्यादा रहेगी?
औद्योगिक उत्पादन में चार परसेंट की गिरावट। कैसे गड्ढे में पहुंच गई बाज़ार में मांग? क्या है इस हाल के लिए जिम्मेदार? गांवों से लेकर विदेशी बाज़ारों तक बिखरे हैं इस परेशानी के कारण। अर्थशास्त्री प्रो संतोष मेहरोत्रा से आलोक जोशी की बातचीत।