नवंबर और दिसंबर में महंगाई कम होती दिखी थी तो क्या मुसीबत टल गई है? जनवरी में फिर से महंगाई बढ़ने और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के क्या मायने हैं?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 2004 से 14 के बीच मौके गंवा दिए पिछली सरकार ने। दस साल बर्बाद हो गए। नौ साल सरकार चलाने के बाद पिछले दस साल का भूत क्यों जगा रहे हैं प्रधानमंत्री? क्या है अर्थव्यवस्था की असलियत? वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार टीसीए श्रीनिवास राघवन के साथ
जिसका डर था, वही आशंका सामने आई है। विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज मंगलवार को कहा है कि भारत में 2023 में मंदी आ सकती है लेकिन 2024 में हालात मामूली ठीक हो जाएंगे। आईएमएफ ने मंगलवार को विश्व अर्थव्यवस्था आउटलुक रिपोर्ट में यह बात कही।
ऐसे में जब 2023 में वैश्विक मंदी की आशंका जताई जा रही है, क्या भारत की अर्थव्यवस्था में कुछ उम्मीद बाक़ी है? विश्व बैंक किस आधार पर कह रहा है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर साढ़े छह फीसदी से ज़्यादा रहेगी?
औद्योगिक उत्पादन में चार परसेंट की गिरावट। कैसे गड्ढे में पहुंच गई बाज़ार में मांग? क्या है इस हाल के लिए जिम्मेदार? गांवों से लेकर विदेशी बाज़ारों तक बिखरे हैं इस परेशानी के कारण। अर्थशास्त्री प्रो संतोष मेहरोत्रा से आलोक जोशी की बातचीत।
सुप्रसिद्ध इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने अपने ताजा अंक में भारत का आर्थिक भूगोल पेश किया है। जिसमें उत्तर और दक्षिण भारत की तुलना की गई है। लेखक और चिन्तक अरुण माहेश्वरी का कहना पत्रिका का आकलन आंख खोलने वाला है, क्योंकि जिस तरह केंद्र सरकार एक भाषा, एक दल, एक राष्ट्र जैसे विचार को बढ़ा रही है, वो खतरनाक है। पढ़िए उनकी पूरी बात।
दुनिया एक भयानक आर्थिक मंदी के दौर में जा रहा है । अमेरिका, चीन और यूरोप सबकी अर्थव्यवस्था संकट में । बेरोज़गारी और महंगाई कई देशों को दिवालिया कर सकती है । सरकारें गिर सकती है ? क्या होगा भारत का ? कैसे निपटेगी की मोदी सरकार ? आशुतोष के साथ चर्चा में प्रो संतोष मेहरोत्रा, सौरभ झा और नरेंद्र तनेजा ।
क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक हालात के ख़राब होने का असर भारत की विकास दर पर काफ़ी ज़्यादा पड़ेगा? जानिए, विश्व बैंक ने क्यों विकास दर अनुमान को क्यों घटाया।
अमेरिका, ब्रिटेन, चीन सहित दुनिया भर में आर्थिक हालात बेहद ख़राब होने के संकेत मिल रहे हैं तो क्या भारत इससे बच बाएगा? यदि भारत को इससे मुकाबला करना है तो इसे क्या करने की ज़रूरत है?
दुनिया भर के देशों के सामने आ रहे आर्थिक संकट के बीच अब भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आख़िर चिंताएँ क्यों उठने लगी हैं? क्या विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है इसलिए?
भारत में कोविड के दौरान छोटे कारोबारियों को जो लोन बांटे गए थे, उनमें से अधिकांश डूब गए हैं या एनपीए बन गए हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने गुरुवार 8 सितंबर को इस संबंध में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित की है।