अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट में अग्रणी वित्तीय सेवा फर्म मोतीलाल ओसवाल की एक शोध रिपोर्ट के हवाले से भारतीय अर्थव्यवस्था, परिवारों की बचत और उनपर बढ़े कर्ज को लेकर जानकारी दी गई है।
बात-बात पर चीनी सामानों का बहिष्कार क्या फैशन है? आख़िर जिस चीन को लाल आँख दिखाने की बात होती है और चीन में बने सामान का बहिष्कार किया जाता है, वहीं से आयात क्यों बढ़ गया?
क्या आपको पता है कि जनगणना जैसा अहम काम भी क्यों रोका गया है जिसे विश्वयुद्ध और कई तरह की महामारी में भी नहीं रोका गया था? अब अर्थव्यवस्था से लेकर रोजगार तक के आँकड़े क्या संकेत देते हैं?
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की शानदार वृद्धि के पीछे क्या है प्रमुख वजहें। जानिए, किन क्षेत्रों की वृद्धि को प्रमुख कारण माना गया है।
मोदी सरकार श्वेतपत्र यूपीए सरकार पर ले आई तो कांग्रेस ने ब्लैकपेपर पेश किया। आख़िर इनके मायने क्या थे और क्या सच में किसके शासन में अर्थव्यवस्था ठीक रही?
वैश्विक अर्थव्यवस्था में पिछले दो दशक के दौरान कई तरह के झटकों के बावजूद जीडीपी के मुकाबले भारत का कर्ज क्यों बढ़ रहा है? जानिए, भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या चल रहा है।
कोरोना महामारी के बाद से देश की आर्थिक स्थिति क्या पटरी पर लौटी और क्या लोगों की आय बढ़ रही है? इसको मापने का पैमाना है कि सामान की मांग कितनी बढ़ी। जानिए, उपभोक्ता सामान की क्या स्थिति है।
अक्टूबर महीने में भारत की थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है। मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक यह अब घटकर -0.52 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पहले सितंबर महीने में थोक महंगाई -0.26 प्रतिशत थी।
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट कहती है कि निजी सर्वेक्षण और अनुसंधान समूह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, देश में बेरोजगारी दर अक्टूबर में 10 प्रतिशत को पार कर गई है।
G 20 कामयाब लेकिन देश में समस्याओं का पहाड़ । महंगाई और बेरोज़गारी ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है ? क्या हुआ उनका वादा कि बहुत हुई महंगाई की मार ? क्यों उनका कार्यकाल मनमोहन सिंह की आर्थिक प्रगति का मुकाबला नहीं कर पाया । क्यों वो आर्थिक मोर्चे पर असफल साबित हो रहे हैं ? आशुतोष बता रहे है ।
क्या पीएम मोदी लुई 14वें की ‘मैं ही राज्य हूँ’ की नीति पर ही चल रहे हैं। लेकिन पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का तो यही कहना है। हालांकि भारत में फ्रांस जैसी स्थितियां नहीं हैं कि यहां क्रांति हो। फिर भी आप इस लेख को पढ़िए क्योंकि वक्त और हालात बदलते देर नहीं लगती।
महंगाई बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के दावे भी किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि अमीर-गरीब की खाई को पाटे बिना आप ग्रोथ का फायदा अंतिम आदमी या औरत को कैसे दे पाएंगे। चीजों के दाम सस्ते नहीं हुए हैं। गरीब जनता का सरकारी आंकड़ों से कोई लेनादेना नहीं है। वो ये जानता है कि कि महंगाई कहां कम हुई है। पेश है आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी का नजरियाः
दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंकाओं के बीच भारत में जीडीपी वृद्धि दर गिरने के संकेत मिलने लगे हैं। जानिए तीसरी तिमाही को लेकर अब क्या आशंका जताई जा रही है।