ताज़ा सरकारी आँकड़े बता रहे हैं कि गाँवों में अर्थव्यवस्था 40 साल के न्यूनतम स्तर पर है। पर सरकार का कहना है कि किसी का कोई काम नहीं रुक रहा है और अर्थव्यवस्था की खुशहाली का यह सबूत है।
भारत छोड़ने की बात कर रही वोडाफ़ोन अकेली कंपनी नहीं है जो यहाँ व्यापार में नाकाम हो रही हैं, लाखों कंपनियाँ बंद हो चुकी हैं और कई बंद होने के कगार पर हैं। क्या है मामला?
बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय से भी इन कंपनियों के कर्मचारियों की स्थिति सुधरने को नहीं है। एक लाख लोगों की नौकरी ख़तरे में हे, पूरा दूरसंचार उद्योग की स्थिति ही बुरी है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ इनवेस्टर सेवा ने शुक्रवार को भारत की रेटिंग में कटौती कर दी है। इसने भारत की रेटिंग को 'स्टेबल' से गिरा कर 'निगेटिव' कर दिया है।
प्याज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी और सोने की कीमत का लगातार गिरना कई सवाल खड़े करता है। यह किस आर्थिक नीति का नतीजा है और सरकार क्यों हस्तक्षेप नहीं करती है?
पहले से धीमी चल रही अर्थव्यवस्था की रफ़्तार दिन-ब-दिन और कम होती जा रही है। ताजा आँकड़े बताते हैं कि उत्पादन क्षेत्र दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच चुका है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए सबसे ख़राब था।