भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन का मानना है कि देश आर्थिक महाविनाश की कगार पर खड़ा है और अर्थव्यवस्था को सुधारना अकेले प्रधानमंत्री कार्यालय के बूते की बात नहीं है।
कोरोना रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से अब तक 12.20 करोड़ लोगों की नौकरी चली जा चुकी है। स्थिति और भयावह हो सकती है। आगे क्या होगा हाल, सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
कोरोना की मार से बेहाल अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जाए? लॉकडाउन में किसे कितनी राहत दी जाए कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे? किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह ने एक बीस सूत्रीय फॉर्मूला तैयार किया है। आलोक जोशी ने उनसे इसी पर बात की।
अब अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर अगले साल यानी 2021 में घट कर 1.6 प्रतिशत पर आ जाएगी।
दिसंबर में बेरोज़गारी की दर में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई, पर शहरी बेरोज़गारी की दर बढ़ कर 9.7 प्रतिशत हो गई। सेंटर फ़ॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने यह जानकारी दी है।