देश के आर्थिक विमर्श में इन दिनों नई हरी पत्तियों की चर्चा अचानक ही शुरू हो गई है। सितंबर महीने के जो आँकड़ें हैं वे भले ही कोई बड़ी उम्मीद न बंधी रही हो, राहत तो दे ही रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ही नहीं, घरेलू एजेन्सियां भी चिंता जता चुकी हैं। लगभग सबका मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था दिन बन दिन बद से बदतर होती जा रही है।
सु्प्रीम कोर्ट ने बैंक से लिए गए क़र्ज़ के भुगतान न करने की छूट की मियाद बढ़ा कर सितंबर तक कर दी है। पहले यह अगस्त तक थी। इसका मतलब यह हुआ कि आप चाहें तो सितंबर तक बैंक को किश्त यानी ईएमआई न चुकाएं।
अंतरराष्ट्रीय रेटिेंग एजेन्सी फ़िच रेटिंग्स ने पहले कहा था कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की जीडीपी शून्य से 5 प्रतिशत नीचे चली जाएगी, अब इसका कहना है कि यह शून्य से 10.5 प्रतिशत नीचे जाएगी।
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने लिंकडिन पर एक पोस्ट लिखी है । उनका कहना है कि मोदी सरकार को फ़ौरन भयाक्रांत होकर काम शुरू कर देना चाहिये नहीं तो अर्थव्यवस्था बरबाद हो जायेगी।
निर्मला सीतारमण के पति ने उनकी तीखी आलोचना की है और ये कहा है कि अब तो भगवान के नाम पर कुछ कदम उठा ले । उनके पति परकाल प्रभाकर ने ट्वीट कर अपनी पत्नी के बयान पर अपनी नाराज़गी जताई है ।
ईएमआई तो टल गईं पर ब्याज का क्या होगा? ब्याज पर ब्याज माफ़ कर देगा सुप्रीम कोर्ट? ऐसा हुआ तो बैंक कहाँ से भरेंगे पैसा? क्या कोर्ट मोरेटोरियम को दो साल तक बढ़ा भी सकता है?
सबसे तेज़ वृद्धि दर वाली जीडीपी कुछ ही वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। विकासशील देशों पर या जी-7 देशों पर नज़र डाली जाए तो साफ दिखता है कि -23.9 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ यह स्पेन से भी नीचे जा चुका है।
पूंजी बाज़ार ने शायद यह पहले ही मान लिया है कि सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पहले से बहुत कम होगी। यह इससे समझा जा सकता है कि बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदनशील सूचकांक सेंसेक्स पहले ही 899.12 अंक गिरा।
जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद पर आम जनता ही नहीं, बैंक व वित्तीय संस्थाएं, उद्योग जगत, पूंजी बाज़ार, विदेश निवेशक, विदेशी क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी सबकी नज़र रहती है। क्यों? आख़िर क्या होता है जीडीपी?
क्या भारतीय जनता पार्टी ने जानबूझ कर देश की आर्थिक स्थिति की ग़लत तसवीर पेश की? क्या उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पुराने आँकड़ों को मौजूदा आर्थिक स्थिति कह कर पेश किया है?