भारत में प्रेस की आजादी खतरे में है। इसमें अब कोई दो राय नहीं है। हाल ही में मीडिया वन चैनल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे यह बात शीशे की तरह साफ हो गई है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पहले ही भारती मीडिया की आजादी को लेकर चिन्ताजनक बताया है। वरिष्ठ पत्रकार वंदिता मिश्रा ने अपने कालम में विभिन्न पहलुओं से इस मुद्दे को उठाया है।
राहुल गाँधी मीडिया पर क्यों बरस रहे हैं? वे ये शिकायत क्यों कर रहे हैं कि मीडिया विपक्ष को कवरेज नहीं देता? क्या मीडिया भारत जोड़ो यात्रा को नज़रंदाज़ कर रहा है? क्या वह बीजेपी के साथ जुगलबंदी करके यात्रा को फेल करने में लगा है?
देश में चल रहे साम्प्रदायिक विवाद के पीछे उन चैनलों की भी भूमिका हैं जो भड़काऊ तत्वों को बुलाकर बहस कराते हैं .इनमें ज्यादातर एक दूसरे धर्म को निशाना बनाते हैं .आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे लेकर एक अपील भी जारी की है .आज की जनादेश चर्चा .
न्यूज़ चैनेल क्यों सरकार के निशाने पर हैं ? सरकार ने क्यों जारी की एडवाइज़री ? क्या वाक़ई चैनेल नफ़रत फैलाते हैं ? क्या वो ग़ैर ज़िम्मेदार हैं ? क्या उनकी वजह से समाज में सांप्रदायिकता फैल रही है ? आशुतोष के साथ चर्चा में आरफा खानम, स्मिता शर्मा, अभय कुमार दुबे, शिवकांत शर्मा और कमर वहीद नकवी ।
विदेशी मीडिया में कोरोना की वजह से मोदी की तीखी आलोचना हो रही है । लेकिन भारतीय मीडिया चुप हैं । किससे डरता है । आशुतोष के साथ चर्चा में आलोक जोशी, शरत प्रधान, संजय सिंह, राजेश बादल, प्रेम कुमार ।