वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए उम्मीद जताई है कि अगले वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर 6 से 6.50 प्रतिशत हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि साल 2020 में भारत में आर्थिक मंदी पहले के अनुमान से ज़्यादा होगी। नतीजतन, भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति बदतर होगी।
केंद्र सरकार की एजेंसी सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ़िस ने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर इस साल 5 प्रतिशत रहेगी, यानी सरकार मान रही है कि अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है।
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मोदी सरकार को एक और झटका लगा है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर में एक बार फिर कटौती कर दी है। Satya hindi
सरकारी एजेन्सी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) ने बीते दिनों इस साल की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत कर दी थी। अब आरबीआई ने इसका अनुमान 5 प्रतिशत लगाया है।
सरकार जो 4.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्ध दर के दावे कर रही है, वह भी खोखला है, क्योंकि इसका बड़ा हिस्सा जिस निजी क्षेत्र से आता है, उसकी विकास दर 3.05 प्रतिशत ही है।
जीडीपी के दूसरी तिमाही के नतीजे आ गये हैं। अर्थव्यवस्था की विकास दर कुल 4.5 फ़ीसदी है। मोदी जी के क़रीब छह साल के कार्यकाल की यह सबसे निचली दर है। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि हम डूब रहे हैं। सत्य हिंदी पर देखिए शीतल के सवाल।
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यण ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद अभी भी मजबूत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जीडीपी वृद्धि दर अगली तिमाही में बढेगी।