पूंजी बाज़ार ने शायद यह पहले ही मान लिया है कि सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पहले से बहुत कम होगी। यह इससे समझा जा सकता है कि बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदनशील सूचकांक सेंसेक्स पहले ही 899.12 अंक गिरा।
जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद पर आम जनता ही नहीं, बैंक व वित्तीय संस्थाएं, उद्योग जगत, पूंजी बाज़ार, विदेश निवेशक, विदेशी क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी सबकी नज़र रहती है। क्यों? आख़िर क्या होता है जीडीपी?
अब अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर अगले साल यानी 2021 में घट कर 1.6 प्रतिशत पर आ जाएगी।
मूडीज़ ने अनुमान लगाया कि इस साल भारत की विकास दर 2.5 प्रतिशत तक सिमट कर रह जाएगी। आख़िर इसी एजेन्सी ने पहले भारत की विकास दर 5.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया था। फिर क्या हो गया? क्या भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना लग गया? क्या कोरोना की चपेट में आ कर अर्थव्यवस्था बिल्कुल चौपट होने की कगार पर है? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
दिल्ली दंगे के बीच रिपोर्ट आई है कि आख़िरी तिमाही में विकास दर 4.71 फ़ीसदी ही है। जीडीपी वृद्धि दर आख़िर इतनी कम क्यों है? तो क्या सरकार की आर्थिक नाकामी को छुपाने की कोशिश की जा रही है? आख़िर आँकड़ों से छेड़छाड़ की ख़बरें क्यों आई थीं?