एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टें 2022-23 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान क्यों घटा रही हैं? कोरोना काल से उबरने की जो उम्मीद बंधी थी वह क्यों धूमिल होने लगी है?
विश्व बैंक ने किस आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर के अनुमानों को घटाया? जानिए, पाकिस्तान और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों के बारे में इसने क्या कहा है।
क्या नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से पिछले आठ सालों में पहली बार ग़रीबी बढ़ी है? क्या यह नोटबंदी व ग़लत तरीके से जीएसटी लागू करने का नतीजा है?
जीडीपी में 20 प्रतिशत की वृद्धि पर बहुत खुश होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था का बुरा समय अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है और यह मंदी से बाहर नहीं निकला है।
सांख्यिकी विभाग ने जब जीडीपी 20.1 फ़ीसदी विकास दर के आँकड़े जारी किए तो एक के बाद एक सभी टीवी चैनलों पर इसे सरकार की उपलब्धि बताया जाने लगा। लेकिन क्या इसे वाक़ई सरकार की उपलब्धि माना जा सकता है?
फिच समूह की इंडिया रेटिंग्स ने टीकाकरण की रफ़्तार कम होने की वजह से भारत की जीडीपी अनुमान घटा दिया है। इसने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 में 9.6 फ़ीसदी नहीं, बल्कि अब 9.4 फ़ीसदी ही रहने की संभावना है।
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सबका विकास, सबका प्रयास' का नारा उछाल कर एक नई बहस की शुरुआत कर दी है। क्या यह महज नारा साबित होगा या वाकई कुछ होगा।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर जीडीपी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। उन्होंने कहा है कि भारत की विकास दर 7 प्रतिशत तक जा सकती है।