भारत और चीन में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने दावा किया है कि वह दोनों देशों के संपर्क में है, उनसे बात कर रहा है और मामले को निपटाने में उनकी मदद कर रहा है।
भारत चीन सीमा विवाद के बीच गलवान पर मोदी का बयान देश के लिए बड़ा झटका है। क्या प्रधानमंत्री के केवल एक वक्तव्य ने ही देश को बिना कोई ज़मीनी युद्ध लड़े मनोवैज्ञानिक रूप से हरा नहीं दिया है?
पीएमओ की सफ़ाई के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से उपजा विवाद थमा नहीं है, बल्कि और बढ़ गया है। लेकिन इससे भी ज़्यादा चिंता की बात ये है कि मोदी के बयान ने चीन की आक्रामकता को और भी बढ़ा दिया है और इसके बहुत घातक नतीजे निकल सकते हैं। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेष्ण
चीन ने 2017 में डोक्लाम विवाद में हुए समझौते को तोड़ दिया है । बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने यह आरोप लगाया है । उन्होंने अमरीकी समाचार माध्यमों का हवाला देते हुए सरकार से स्पष्टीकरण की माँग की है । शीतल पी सिंह की रिपोर्ट
भारत ने शनिवार को कहा है कि गलवान घाटी के संबंध में स्थिति एतिहासिक रूप से साफ है और चीन की ओर से इस संबंध में बढ़ा-चढ़ाकर किए जा रहे दावे स्वीकार्य नहीं हैं।
सेना और विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि कोई भी जवान ‘लापता’ नहीं है लेकिन चीन द्वारा दस भारतीय जवानों को रिहा करने के बाद दोनों की किरकिरी हो रही है।
चीन की हरकतों ने देश भर में रोष भर दिया है और चीनी माल के बहिष्कार का अभियान तेज़ हो गया है। कई जगह चीनी सामान नष्ट भी किया गया है। मगर इस अभियान के पीछे एक राजनीतिक एजेंडा भी काम कर रहा है। क्या है ये राजनीतिक एजेंडा और कौन है इसके पीछे बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार