चार दौर की बातचीत के बाद भारत-चीन तनाव में कमी आई है, गलवान घाटी से चीनी सैनिक लौट चुके हैं। पर डेपसांग और पैंगोंग त्सो में चीनी सैनिक डटे हुए हैं, खाली करने से इनकार कर रहे हैं।
लद्दाख में भारत चीन सेना के कमांडरों के बीच चौथे राउंड की बातचीत मंगलवार को होगी । सवाल क्या चीन छोड़ेगा कब्जे की ज़मीन । स्मिता शर्मा ने की (रि) मे. ज. डी के मेहता और मयंक सिंह से बातचीत ।
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने चीन मुद्दे पर अब फिर से सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है। उन्होंने पूछा है कि ऐसा क्या हुआ कि मोदी जी के रहते भारत माता की पवित्र ज़मीन को चीन ने छीन लिया?
लगता है चीन को समझ में आ गया है कि पूर्वी लद्दाख में भारत से लगे सीमांत इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा का एकतरफा उल्लंघन कर जबरदस्ती घुसना उसके लिए महंगा पड़ेगा।
चीन सेना गलवान घाटी में पीछे हटी है। ये ज़मीन नियंत्रण रेखा पर भारतीय ज़मीन का हिस्सा है। पैंगोंग घाटी में भारत के नियंत्रण वाले हिस्से में चीनी सैनिक अब भी बने हुए हैं। ये भारत की राजनीति की जीत है या हार।
चीन बड़े पैमाने पर बढ़ रहे अपने उद्योग के लिए कच्चे माल की ज़रूरतों को पूरा करने के लालच से लद्दाख पर नज़रें गड़ाए हुए है। गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, डेमचोक, फाइव फिंगर्स आदि में हालिया चीनी घुसपैठ का असली कारण यही है।
गत पांच जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर