क्या सीटों के बँटवारे को लेकर काँग्रेस क्षेत्रीय दलों के दबाव में है? वह केवल 255 सीटों पर फ़ोकस क्यों करना चाहती है? अगर केवल इतनी ही सीटों पर उसका ध्यान रहेगा तो क्या वह 100 के आँकड़े को पार कर पाएगी? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- मोनादीपा बैनर्जी, प्रेम कुमार, यूसुफ़ अंसारी, पंकज श्रीवास्तव और दिनेश कुमार व्होरा-