इंडिया गठबंधन में शक के बादल धीरे-धीरे छंटने लगे हैं। विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश कुमार ने एक बयान देकर सारे संदेह को दूर कर दिया है। नीतीश कुमार को बुखार था, इसलिए उन्होंने बैठक के लिए मना किया था लेकिन उस बात का अफसाना बन गया। जानिए पूरी कहानी।
तमाम क्षेत्रीय दलों के रुख को देखते हुए इंडिया गठबंधन की बुधवार 6 दिसंबर को होने वाली बैठक स्थगित हो गई है। यह बैठक अब दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होगी। लेकिन एक अन्य कमेटी की बैठक 6 दिसंबर को ही होगी। जानिए पूरा घटनाक्रमः
विपक्षी गठबंधन इंडिया की राजनीति चार राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद गरमा उठी है। कांग्रेस ने 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाई है। जब रुझान आने शुरू हुए तो सबसे पहले जेडीयू की तरफ से बयान आया कि इंडिया का नेतृत्व नीतीश कुमार को सौंपा जाए। अब टीएमसी भी वही बात कह रही है। जबकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हम नतीजों की समीक्षा करेंगे। जानिए पूरी राजनीतिः
चार राज्यों के चुनाव नतीजों ने विपक्ष को इंडिया गठबंधन पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया है और इसीलिए 6 दिसंबर को इसकी बैठक बुलाई गई है। लेकिन जिस तरह कुछ विपक्षी नेताओं का रवैया रहा है, क्या गैर भाजपा दल अब भी कुछ सोचेंगे। जानिए ताजा घटनाक्रमः
यूपी के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की राजनीति इन दिनों देखने वाली है। वो इंडिया गठबंधन को लगातार डुबो रहे हैं। वो बसपा प्रमुख मायावती की तरह कांग्रेस और राहुल गांधी को निशाना बना रहे हैं। एमपी में भाजपा सत्ता में है, लेकिन वहां भी अखिलेश के निशाने पर कांग्रेस और राहुल हैं। अखिलेश के रुख में बदलाव की वजह क्या मानी जाए, जानिएः
इंडिया गठबंधन को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार रात को फोन पर बात की। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इंडिया गठबंधन के कांग्रेस और क्षेत्रीय क्षत्रप आपस में समझदारी क्यों नहीं दिखा रहे हैं। पढ़िएः
लगभग दो महीने पहले इंडिया गठबंधन में सीटे शेयरिंग का फॉर्मूला तय करने की बात हुई थी, लेकिन उसके बाद सारी गतिविधियां ठप हैं। इस दौरान कई क्षेत्रीय दलों के नेता अपना-अपना राग भी अलापने लगे हैं। किस तरफ जा रही है विपक्षी राजनीति, जानिएः
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश में राजनीतिक सरोकार की परिभाषा को बदल दिया है। उनके सरोकार और देश के प्रधानमंत्री के सरोकार अब जनता और बौद्धिक लोगों के सामने स्पष्ट हैं। फिर भी अगर कोई ईमानदार न होना चाहे तो उसकी मर्जी। आखिर राहुल गांधी में इंडिया गठबंधन को लीड करने की क्षमता क्यों नहीं है, यह बेतुका सवाल क्यों बार-बार उठाया जा रहा है। राहुल को अब नजरन्दाज नहीं किया जा सकता। पत्रकार रेनू त्रिपाठी का विचारोत्तेजक आकलनः
आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी इंडिया गठबंधन के लिए समर्पित है लेकिन उनकी पार्टी की पंजाब सरकार कांग्रेस नेताओं की राज्य में धरपकड़ कर रही है। अभी गुरुवार को ही कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजा वारिंग, नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा को शुक्रवार को खैरा से मिलने नहीं दिया गया।
इंडिया गठबंधन की गतिविधियां एक बार फिर तेज हो गई हैं। बिहार के सीएम और इंडिया के सूत्रधार नीतीश कुमार विपक्ष के पाले में पंजाब के अकालियों और हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला की आईएनएलडी को लाने में जुट गए हैं। दूसरी तरफ अकालियों ने अब भाजपा से दूरी भी बनानी शुरू कर दी है। दोनों ही पुराने मित्र दलों में दोस्ती अब मुश्किल लग रही है।
बिना एजेंडा बताए, संसद का विशेष सत्र बुला लिया गया है। लेकिन ऐसा नामुमकिन है कि सरकार ने बिना सोचे समझे विशेष सत्र बुला लिया हो। हो सकता है कि सरकार ने कुछ ऐसा सोचा हो, जिसे वो बताना न चाहती हो लेकिन अगर विपक्ष सवाल न करे तो क्या करे। विपक्ष को लगातार सवाल पूछना चाहिए, जिसे वो कर भी रहा है।
विपक्षी गठबंधन इंडिया एकजुट तो नजर आया लेकिन मुंबई में हुए कुछ घटनाक्रमों को नजरन्दाज नहीं किया जा सकता। इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है।
मुंबई में दो दिन के लिए जुटे 28 दलों के संगठन इंडिया के पोस्टरों में लिखा गया कि जुड़ेगा भारत तो जीतेगा इँडिया...ये बहुत ही सही लाइन है जो विपक्षी दलों के गठबंधन ने ली है. असल में इंडिया नाम रखने पर ही कई लोगों ने सवाल उठाया था, तब से ही कहा जाने लगा था कि नीतिश कुमार नाराज हैं कि भारत नहीं है। इसलिए अब इंडिया और भारत दोनों को ही उसके नारे और लोगो यानि चिन्ह में शामिल कर लिया गया है.