गांधी के अनुयायियों ने उन्हें अलौकिक और देवदूत के रूप में प्रचारित किया था। गांधी जी को महात्मा और संत जैसी उपाधियाँ दी गयीं। इसका व्यापक प्रभाव भी हुआ।
कोरोना वायरस संक्रमण के ख़तरे के चलते जारी लाॅकडाउन की वजह से रामनवमी बिना किसी राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक शोरशराबे, भीड़भाड़ और कर्मकांडी तामझाम के मनी।
महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी को नया 'लुक' दिया है। पार्टी ने स्थापना के 14वें साल पर पहली बार राज्य स्तरीय अधिवेशन बुलाया और न सिर्फ़ अपने झंडे का रंग बदला बल्कि कई और बदलाव किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के मिदनापुर की चुनावी सभा का आग़ाज़ ‘जय श्री राम’ के जयघोष से क्यों किया। राजनीति है मोदी का जय श्री राम। देखिये वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का विश्लेषण।
मोदी के गुजरात में जय श्री राम का नहीं, बल्कि जय श्री कृष्ण का उद्घोष होता है। मोदी कभी जय श्री कृष्ण कहते सुनायी नहीं दिए क्योंकि चुनाव में जितना फ़ायदा जय श्री राम से हो सकता है उतना फ़ायदा जय श्री कृष्ण से होने की उम्मीद कम है।
तीन चरण के मतदान हो गये हैं। मोदी ने पहले बालाकोट के बहाने ‘राष्ट्रवाद’ और फिर साध्वी प्रज्ञा के बहाने ‘हिंदू आतंकवाद बनाम मुसलिम आतंकवाद’ का नैरेटिव बनाने की कोशिश की। ये नहीं चले तो मोदी अब हिंदुत्व के एजेंडे पर आ गये हैं।
तीन चरण के मतदान हो गये हैं। मोदी ने पहले बालाकोट के बहाने ‘राष्ट्रवाद’ और फिर साध्वी प्रज्ञा के बहाने ‘हिंदू आतंकवाद बनाम मुसलिम आतंकवाद’ का नैरेटिव बनाने की कोशिश की। ये नहीं चले तो मोदी अब हिंदुत्व के एजेंडे पर आ गये हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा पर हाल ही में एक किताब ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन’ प्रकाशित हुई है। इस किताब के लेखक हैं कँवल भारती। पढ़िये ईश मिश्र की समीक्षा, क्या है इस किताब में।
श्वेत-नस्लवादी ब्रेन्टन टैरंट ने आख़िर क्यों 49 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जिन्हें वह जानता तक नहीं था? उसके दिमा में में उस वक़्त क्या चल रहा था?