हाथरस की एक बच्ची पुरुष प्रधान सोच के उत्पाद,बलात्कार से फिर मारी गई । हमारे बीच में ही पैदा हुए कुछ राक्षसों ने उसकी गर्दन तोड़ डाली , जान बचाने में उसकी रीढ़ मुड़ तुड़ गई और ज़बान कट गई । आज उसने दिल्ली के अस्पताल में आख़िरी साँस ली ! भारतीय पुरुषों के इस अक्षम्य पाप और मीडिया में उसकी उपेक्षा पर रंजना कुमारी और नीलू व्यास से शीतल पी सिंह की बातचीत