मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि जब धर्म से संबंधित मामलों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल होता है, तो यह तय करना जरूरी है कि किसी को तकलीफ न हो। अदालतने कहा- "स्वतंत्र भाषण नफरती भाषण नहीं हो सकता।"
देश धार्मिक उन्माद की तरफ लगातार बढ़ रहा है। मुजफ्फरनगर जिले में मुस्लिम बच्चे को क्लास में थप्पड़ लगवाने की घटना पर बहस शुरू हो चुकी है। लेकिन इन हालात और ऐसी घटनाओं पर सरकार चुप है। अदालत एक सीमा तक हस्तक्षेप कर पा रही है। हेट स्पीच आपके देश और इसकी व्यवस्था को खाने जा रही है! पत्रकार वंदिता मिश्रा का इस हफ्ते का लेख पढ़िएः
देश में बढ़ती हेट स्पीच और इससे जुड़े अपराध के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसके आरोपी लोगों से कानूनी तरीके से निपटा जाएगा।
पलवल के गांव में आयोजित हिन्दू महापंचायत में रविवार 13 अगस्त को खुलकर सरकार की शर्तों को तोड़ा गया। खुले आम हेट स्पीच यानी नफरती भाषण हुए और समुदाय विशेष के लोगों को संगीन धमकियां दी गईं। हालांकि पलवल पुलिस के अधिकारियों ने महापंचायत के आयोजकों से साफ शब्दों में हेट स्पीच के लिए मना किया था लेकिन वक्ता माने नहीं। पुलिस ने अभी तक हेट स्पीच को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है। रविवार की महापंचायत के बाद इलाके में तनाव बढ़ सकता है।
नफ़रती भाषण या बयान दिया तो अब तुरंत एफ़आईआर हो जाएगी। न तो किसी शिकायत की ज़रूरत होगी और न ही किसी धर्म को देखा जाएगा। जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया।
हेट स्पीच के मामले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीपीएम नेता बृंदा करात की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।
हेट स्पीच के खिलाफ भारत में कानून भी है और अदालत की नजर भी रहती है। हाल ही में भारत के चीफ जस्टिस ने हेट स्पीच पर कहा कि ऐसा करने वाले नपुंसक हैं लेकिन दरअसल ऐसी प्रवृत्ति के लोग आपराधिक सोच वाले हैं, उन्हें नपुंसक बताना एक तरह से उन्हें स्वीकार करना हो गया।
सकल हिंदू समाज की इन रैलियों को मुख्य एजेंडा मुसलमानों के खिलाफ नफरत का प्रचार प्रसार करना होता है।12 मार्च को मुंबई के मीरा रोड पर हुई एक रैली, इस्लामिक कट्टरता, लव जिहाद और लैंड जिहाद के खिलाफ भाषण दिए गए। यहीं पर कुछ वक्ताओं ने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार भी का आह्वान किया।
कर्नाटक में हेट स्पीच देने वालों और दंगाइयों पर से केस वापस लिए जा रहे हैं। इनमें सभी आरोपी हिन्दू संगठनों से जुड़े हुए हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने तमाम मामलों की पड़ताल की है।
सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की तरफ से पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि पुलिस ने इस तरह के नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने नफरती बयानों पर एक बार फिर अपना कड़ा रुख दिखाया है और कहा है कि भारत एक सेकुलर देश है। यहां हेट स्पीच पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अदालत की यह सख्त टिप्पणी यूपी से जुड़े एक मामले में आई है।
दर्ज कराई गई शिकायत में कथित तौर पर दो समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में योग गुरु रामदेव के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
सुप्रीम कोर्ट को आख़िर क्यों कहना पड़ा कि न्यूज़ एंकर नफ़रत फैला रहे हैं? अदालत ने एनबीएसए से क्यों कहा कि आप समाज को बांट रहे हैं, हेट स्पीच देने वाले कितने एंकरों को ऑफ एयर किया?