मध्य प्रदेश के खरगोन में आज रामनवमी जुलूस के दौरान कुछ उपद्रवियों ने पथराव किया, उसके बाद शहर में हिंसा भड़क उठी। शहर में हालात को काबू करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। देश के कई राज्यों में पिछले एक हफ्ते के अंदर कई साम्प्रदायिक घटनाएं हो चुकी हैं।
अपने विवादास्पद बयानों के लिए बदनाम यति नरसिंहानंद ने हिन्दुओं को सलाह दी है कि वो ज्यादा बच्चे पैदा करें। नहीं तो एक दिन भारत में गैर हिन्दू प्रधानमंत्री बन जाएगा।
कर्नाटक में अब मुस्लिम फल विक्रेताओं के खिलाफ मुहिम शुरू की गई है। अभी तक हिजाब, हलाल और लाउडस्पीकर बैन का मुद्दा उठाने के बाद अब हिन्दू संगठनों ने इस मुद्दे को उठाया है।
असम से लेकर कर्नाटक और उत्तर प्रदेश तक मुसलमानों के खिलाफ नफरती अभियान क्यों चलाया जा रहा है? और इसके लिए हिंदुओं के धार्मिक अवसरों का इस्तेमाल क्यों हो रहा है?
देश की जानी-मानी महिला उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ ने देश में मुस्लिमों के प्रति बढ़ती नफरत पर चिन्ता जताई है। इस पर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बौखलाकर कड़ी प्रतिक्रिया दे डाली है।
जिस राज्य में चुनाव होने वाला होता है उस राज्य में कट्टरपंथी अपना एजंडा लेकर आ जाते हैं .अन कर्नाटक की बारी है .वहां भाजपा के ही नेता ने इन कट्टरपंथी ताकतों को आड़े हाथों लिया है .आप भारत में अगर भेदभाव करेंगे तो दूसरे देशों में क्या इसकी प्रतिक्रिया नही होगी .आज की जनादेश चर्चा .
उडुपी और शिवामोगा के मंदिरों में होने वाले त्योहारों में वीएचपी, हिंदू जागरण वेदिके, बजरंग दल और श्री राम सेना ने मुसलिम दुकानदारों को दुकान न लगाने की देने की मांग की थी।
कर्नाटक में एक के बाद एक मुसलिमों को लेकर विवाद क्यों हो रहा है? क्यों हिजाब विवाद और धार्मिक उत्सवों में मुसलिम व्यापारियों पर प्रतिबंध के मामले आए? क्या धर्म की राजनीति की जा रही है?
नफरत को बढ़ावा देने वाली बयानबाजी पर दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद सवाल यह खड़ा होता है कि क्या धार्मिक आधार पर नफरत फैलाने के बाद सजा से बचने के लिए बड़ी चतुराई से कानून का सहारा लिया जा रहा है?
क्या व्यापार या दुकानदारी भी अब धर्म के आधार पर तय होगा? जानिए, मंदिरों द्वारा मुसलिम दुकानदारों पर क्यों प्रतिबंध लगाया गया और किस आधार पर कर्नाटक सरकार इसको सही ठहरा रही है।
उडुपी जिले में स्थित होसा मारगुडी मंदिर में हर साल यह उत्सव होता है और इसमें बड़ी संख्या में मुसलिम भी अपनी दुकान लगाते रहे हैं। लेकिन इस बार उन्हें दुकान नहीं लगाने दी जा रही हैं।
द कश्मीर फाइल्स फ़िल्म में कश्मीरी पंडितों के हालात को दिखाया गया है। लेकिन इसमें दिए गए तथ्य क्या सही हैं और क्या इसका मक़सद कुछ और है? या फिर फ़िल्म के ख़िलाफ़ साज़िश हो रही है?