मंदिर मुद्दे पर अदालत से लेकर जनता में बहस गर्म है । लेकिन विपक्षी दलों की चुप्पी हैरान करने वाली है । क्या सेकुलरिजम की मौत हो गयी है, या ये चुप्पी रणनीतिक है ?
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा कि 1947 के पहले के धर्मस्थलों के मामले में यथास्थिति बरकरार रखने के 1991 के कानून के तहत जाँच पर रोक नहीं लगाई जा सकती? तो क्या 1991 के कानूने का महत्व ख़त्म हो गया है?
पंजाब के राजपुरा में भी ज्ञानवापी जैसा विवाद उठ खड़ा हुआ है। वहां बनी एक पुरानी मस्जिद को कुछ लोगों ने गुरु की सराय बताया है। प्रशासन ने वहां पुलिस तैनात कर दी है और दोनों गुटों से अपने दावे के सबूत पेश करने को कहा है।
शिवलिंग विवाद बढ़ रहा है। लोग सोशल मीडिया पर इसके विरोध और पक्ष में लिख रहे हैं। पुलिस तक भी शिकायतें पहुंच रही हैं। डीयू के एक दलित प्रोफेसर ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। अहमदाबाद में एक नेता को गिरफ्तार किया गया है।