गुजरात के विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए कुछ ही दिनों का वक्त और रह गया है और उससे ठीक पहले बीजेपी को आखिर 2002 के गुजरात दंगों या एंटी रेडिकलाइजेशन सेल बनाने का वादा क्यों करना पड़ रहा है।
गुजरात में ध्रुवीकरण की तमाम कोशिशों के बावजूद आखिर मुस्लिम उस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं जैसा नेता और मीडिया उम्मीद कर रहे हैं। क्या है वजह, पढ़िए ये रिपोर्टः
2002 के वीभत्स गुजरात दंगों की याद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने फिर से दिला दी है। इसे गुजरात के मौजूदा विधानसभा चुनाव के दौरान याद दिलाया गया है। दो दशक बीच चुके हैं। एक पूरी नई पीढ़ी सामने आ चुकी है, क्या वो इन दंगों का सच जानती है, उस दंगे को जानने की जरूरत हैः
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नरोदा पाटिया का, गुलबर्ग सोसाइटी का और बेस्ट बेकरी का, हम आपका कौन-कौन सा सबक याद रखेंगे। लेकिन सवाल यह है कि गुजरात में लगातार जीत रही बीजेपी ने चुनाव के मौके पर गुजरात दंगों की बात क्यों की।
गुजरात में पहले दौर के चुनाव को एक हफ़्ते बचे हैं । क्यों बीजेपी कह रही है कि लड़ाई कांग्रेस से हैं आप से नहीं ? क्या बीजेपी को आप बड़ा ख़तरा लग रही है ? क्यों बीजेपी के बाग़ी बड़ा ख़तरा बनते जा रहे हैं ? आशुतोष के साथ चर्चा में C Voter के यशवंत देशमुख और गुजरात चुनाव के विशेषज्ञ अजय उम्मट ।
गृहमंत्री अमित शाह को गुजरात दंगे क्यों याद आ रहे हैं? वे क्यों कह रहे हैं कि 2002 में उन्होंने सबक सिखा दिया? उन्होंने किसको सबक सिखाया और कैसे सिखाया? क्या वे और उनकी पार्टी फिर से हिंदू-मुसलमान पर उतर आई है? क्या चुनाव प्रचार के आख़िरी चरण में अब इस तरह की और भी बयानबाज़ी बीजेपी नेता करेंगे?
गुजरात चुनाव में अब क्या '2002 के दंगे' पर बयानबाजी़ शुरू होगी? आख़िर गृहमंत्री अमित शाह ने '2002 में सबक़ सिखाने' का ज़िक्र क्यों किया? जानिए इसके क्या मायने हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने उन सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे हैं जहाँ पर मुसलिम आबादी काफी संख्या में है। तो सवाल है कि वह चुनाव किसके ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं और किसको इसका फायदा होगा?
सौराष्ट्र पंरपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ । मोदी के जमाने में भी कांग्रेस को यहाँ बढ़त मिलती रही । 2017 में कई ज़िलों में बीजेपी साफ़ हो गई थी । तो क्या होगा इस बार ? आप मुक़ाबले को त्रिकोणीय बना पायेगी या बीजेपी कांग्रेस से आगे निकल जायेगी ? आशुतोष ने की कार्तिकेय बत्रा से जाना इलाक़े का हाल ।
गुजरात चुनाव में आज बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग काफ़ी तीखी हो गई। हिमंत बिस्व सरमा ने राहुल पर ऐसी टिप्पणी कर दी कि कांग्रेस नेताओं ने भी बीजेपी नेता को लेकर कड़े बयान दिए।
राहुल गांधी अपने 3500 किलोमीटर भारत जोड़ो यात्रा के कार्यकाल के दौरान कई राज्यों में अच्छा समय बिता रहे होंगे। लेकिन उन्हें गुजरात के लिए उपयुक्त समय क्यों नहीं मिल रहा है, जहां चुनाव प्रचार जोरों पर है। उन्होंने राज्य को केवल दो दिन आवंटित किए हैं। क्या कांग्रेस ने गुजरात से पहले ही हार मान ली है?
गुजरात में क्या अल्पसंख्यक समुदाय मुसलिम को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलता है? क्या इस समुदाय का कोई मंत्री है? क्या चुनाव में उम्मीदवारी में सही प्रतिनिधित्व मिला है?
गुजरात में मुस्लिम कुल आबादी का तक़रीबन 9% से कुछ ज़्यादा है । लेकिन विधानसभा में उनकी मौजूदगी न के बराबर है ? बीजेपी मुस्लिमों को चुनाव लड़ने के लिये टिकट नहीं देती । कांग्रेस ने इस बार 182 में से सिर्फ़ 5 सीटों पर टिकट दिये हैं । क्यों गुजरात में मुस्लिम पूरी तरह से हाशिये में है ? क्या ओवैसी मुस्लिमों को आवाज़ दे रहे हैं या फिर वो बीजेपी को जिताने के लिये हैं ?
गुजरात में मोदी विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। मधुसूदन मिस्त्री के औकात बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि वह नौकर हैं जिसकी कोई हैसियत नहीं है। क्या यह विक्टिम कार्ड मोदी की मदद करेगा, क्या उनके पास विकल्प खत्म हो रहे हैं?
जहां बीजेपी एक बार फिर से गुजरात जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है, वहीं कांग्रेस और आप दोनों ही बीजेपी को टक्कर देने में नाकाम दिख रही हैं। आइए देखें कि क्या मोदी की मातृभूमि में विपक्ष के लिए कोई उम्मीद हो सकती है?