अडानी पर अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) भी अडानी के साथ खड़ा हो गया है। उसके मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने खुलकर उन लोगों को घेरा है जो अडानी को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। आमतौर पर संघ ऐसे विवादास्पद आर्थिक मामलों में हाथ नहीं सेंकता है। आखिर कुछ तो इसका मतलब है।
अडानी मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शनिवार को पहला बयान दिया। निर्मला ने कहा कि अडानी को एलआईसी और एसबीआई सहित तमाम बैंकों ने नियमों का पालन किया है।
अडानी मामले में जांच की मांग को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर पूरा दबाव बना दिया है। उसने 6 फरवरी को एलआईसी और एसबीआई दफ्तरों पर देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है।
हिंडनबर्ग के परदाफ़ाश से अडानी का निजी नुक़सान भर हुआ है या देश का भी? अडानी कांड से अर्थव्यवस्था को कितनी क्षति पहुँची है? क्या अडानी ने देश की प्रतिष्ठा और अंतरराष्ट्रीय साख को भी धूमिल किया है? अगर इस नुक़सान के लिए अडानी जिम्मेदार है तो उसके ख़िलाफ़ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
भारी पिटाई के बाद अडानी समूह के शेयरों में तेज़ी कैसे दिखी? क्या अडानी की मुश्किलें खत्म हो गई हैं? सरकार की सफाई के बाद क्या फिर बढ़ने लगेंगे कंपनी के शेयर? हिंडनबर्ग का असर पूरा हो गया? या पिक्चर अभी बाकी है?
अडानी समूह पर छाए संकट की वजह से एसबीआई सहित तमाम सरकारी बैंकों और एलसीआई को लेकर एक तरफ सवाल उठ रहे हैं तो दूसरी तरफ वित्त मंत्री, पूर्व वित्त सचिव ने शुक्रवार को देश को भरोसा दिया कि चिन्ता की कोई बात नहीं है।
एसबीआई ने 21000 करोड़ और पंजाब नेशनल बैंक ने अडानी समूह की कंपनियों को 7000 करोड़ का लोन दे रखा है। अडानी समूह इस समय संकट में है। शेयर मार्केट में उसकी कंपनियां डूब रही हैं। ऐसे में सवाल उठ खड़ा हुआ है कि कहीं सरकारी बैंकों के लोन पर तो कोई खतरा नहीं है, अगर ऐसा हुआ तो सरकारी बैंक डूब सकते हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद विवादों में आए अडानी समूह के शेयरों का गिरना आज भी जारी रहा और अब तक इनकी क़ीमत क़रीब आधी रह गई है। जानिए, शेयर बाज़ार में कैसी है स्थिति।
केंद्र सरकार शुक्रवार को पहली बार अडानी ग्रुप के मामले में बोली है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार का अडानी मामले से कुछ भी लेना देना नहीं है।
अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स से अडानी ग्रुप की सभी कंपनियां हटा दी जाएंगी। इसका सीधा सा मतलब है कि अब अमेरिका के लोग अडानी ग्रुप में डाउ जोंस के जरिए निवेश नहीं कर पाएंगे।
संसद का बजट सत्र जारी है। सरकार अडानी पर उठे सवालों पर विपक्ष को चर्चा नहीं करने दे रही है। आज शुक्रवार को लगातार दूसरा दिन है, जो हंगामे की भेंट चढ़ गया। समूचे विपक्ष ने नोटिस देकर चर्चा की मांग की लेकिन सरकार ने चर्चा नहीं होने दी।
अडानी की वजह से मुसीबत में फँस गयी है मोदी सरकार । संसद में विपक्ष का हंगामा । सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में जाँच या फिर जेपीसी जाँच की माँग की विपक्ष ? क्या सरकार मानेगी विपक्ष की माँग ? क्या मोदी सरकार की ये सबसे बड़ी मुसीबत है ?