चीन के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि नई दिल्ली के उकसावे से भारत चीन सीमा विवाद हुआ है। 15 जून की झड़प के लिए भी भारत को ज़िम्मेदार ठहराया है।
पीएमओ की सफ़ाई के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से उपजा विवाद थमा नहीं है, बल्कि और बढ़ गया है। लेकिन इससे भी ज़्यादा चिंता की बात ये है कि मोदी के बयान ने चीन की आक्रामकता को और भी बढ़ा दिया है और इसके बहुत घातक नतीजे निकल सकते हैं। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेष्ण
भारत ने शनिवार को कहा है कि गलवान घाटी के संबंध में स्थिति एतिहासिक रूप से साफ है और चीन की ओर से इस संबंध में बढ़ा-चढ़ाकर किए जा रहे दावे स्वीकार्य नहीं हैं।
सेना और विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि कोई भी जवान ‘लापता’ नहीं है लेकिन चीन द्वारा दस भारतीय जवानों को रिहा करने के बाद दोनों की किरकिरी हो रही है।
चीनी सैनिकों के साथ लड़ाई में घायल हुए जवान सुरेंद्र सिंह के परिवार ने कहा कि लद्दाख की गलवान घाटी में सैनिक निहत्थे गए थे। फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या देश से झूठ बोला कि गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिक हथियार लेकर गये थे?
लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के अलावा 76 सैनिक घायल भी हुए थे। इसमें से 18 जवानों की हालत स्थिर बताई गई है।
भारत ने एक बार फिर गलवान घाटी पर चीन के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। भारत सरकार ने कहा है कि गलवान घाटी पर 'चीनी संप्रुभता' का दावा पूरी तरह 'अस्वीकार्य' है।