क्या ट्विटर पर अभिव्यक्ति की आज़ादी पूरी नहीं थी? क्या एलन मस्क ने सिर्फ़ आम लोगों की आज़ाद आवाज़ के लिए 44 अरब डॉलर ख़र्च किए हैं? जानिए ट्विटर पर लोगों ने कैसी प्रतिक्रिया दी।
देश के 13 बड़े मीडिया संस्थानों के संघ ने कहा है कि नये आईटी नियम क़ानून के ख़िलाफ़ हैं और ये अभिव्यक्ति की आज़ादी के विरोधी हैं। इसने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने दो मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है।
इस समय मुख्य धारा का अधिकांश मीडिया, जिसमें कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों शामिल हैं, बिना किसी घोषित-अघोषित सरकारी अथवा अदालती हुक़्म के ही अपनी पूरी क्षमता के साथ सत्ता के चरणों में बिछा हुआ है।
अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने की कोशिशों की आलोचना करने पर अमोल पालेकर को रोका गया था। आपातकाल की शुरुआत ऐसे ही होती है। उसे रोकने के लिए बोलते रहना ज़रूरी है।
किसी भी क़िस्म के सत्ताधारियों का स्वप्न एक ऐसी दुनिया है जहाँ कोई, कोई भी न हँसे। कम से कम ऐसी दुनिया जहाँ उन पर कोई न हँसे, वे अपने विरोधियों के ख़िलाफ़ हँसी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं।