रेप के मामलों में हाल के जो आँकड़े आए हैं वे बेहद निराश करने वाले हैं। अदालतों में रेप से जुड़े लंबित मामलों की संख्या 2018 के बाद बेतहाशा बढ़ी है। एक राज्य में तो 353 फ़ीसदी तक।
दिसंबर, 2012 में हुए सनसनीखेज निर्भया कांड के बाद कठोर सज़ा के लिए कई निर्णय लिए गए थे। न तो त्वरित अदालतें गठित हुईं न महिला जजों को ऐसे केस सौंपे गए। निर्णय पर कितना हुआ पालन?