दिल्ली में आज फिर किसान महापंचायत हो रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हजारों किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं। किसान सरकार को एमएसपी के मुद्दे पर जगाने आए हैं। किसान एमएसपी पर लीगल गारंटी मांग रहे हैं।
केंद्र सरकार की कृषि नीति समय पर फैसला न लेने के बुरे नतीजों का शिकार हो चुकी है। सरसों बोने वाले किसानों के साथ इस बार कैसे धोखा हुआ है, उसे वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर के नजरिए से समझिए।
एथेनाॅल परियोजना से जुड़ा एक तर्क है जो शायद अगले आम चुनाव तक चले। कहा जा रहा है कि इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा?
किसान एमएसपी का मुद्दा फिर से गरमा रहे हैं। लेकिन पैनल बनाने के बावजूद मोदी सरकार का रवैया टालमटोल वाला है। अभी तक की प्रोग्रेस जीरो है। सवाल यह है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को और कितना लटकाएगी।
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी और उनकी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि किसानों को कोई ताकत हरा नहीं सकती है। उनके घर ईडी और इनकम टैक्स की टीम नहीं भेजी जा सकती।
अग्निपथ योजना के खिलाफ फिर से आंदोलन शुरू होने जा रहा है। इस बार किसान संगठनों और पूर्व सैनिकों के संगठन ने आंदोलन की पहल की है। किसान नेता राकेश टिकैत ने भी समर्थन दिया है। बिहार और यूपी के कुछ हिस्सों में जिस तरह से इस योजना को लेकर हिंसा हो चुकी है, उसे देखते हुए क्या लगता है कि किसान और युवक इस आंदोलन का समर्थन करेंगे। क्या जनता भी इस आंदोलन का महत्व समझते हुए इसे समर्थन देगी। पढ़िए यह रिपोर्ट।
क्या मिशन यूपी किसान आंदोलन की आख़िरी उम्मीद है? क्या किसानों को राजनीति में सीधे दखल देना चाहिए, उन्हें राजनीतिक दल बनाकर चुनाव लड़ना चाहिए? सरकार की बेरुख़ी से वे कैसे पार पाएंगे? कृषि और किसान राजनीति के विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र शर्मा से प्रो. मुकेश कुमार की बातचीत-
कृषि क्षेत्र में निजीकरण करने का क्या हो सकता है मक़सद? नए कृषि क़ानूनों से क्या सच में सुधार हो पाएगा? आख़िर किसानों का आजतक भला क्यों नहीं हो पाया? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की रिपोर्ट